श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा हुआ है। इसी बीच वहां अलगाववादियों पर सख्ती बढ़ा दी गई है। इस क्रम में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में लेने के बाद हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मीरवाइज उमर फारूक को भी नजरबंद कर दिया गया है। आपको बता दें कि मीरवाइज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नरम धड़े के अध्यक्ष हैं। अलगाववादी नेताओं को घाटी में विरोध-प्रदर्शनों की अगुवाई से रोकने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मैसूमा स्थित आवास से लिया हिरासत में
जम्मू-कश्मीर में बुधवार से ही राज्यपाल शासन लगा हुआ है। मंगलवार को बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से समर्थन वापसी का फैसला लिया था। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि मलिक को गुरुवार सुबह उनके मैसूमा स्थित आवास से हिरासत में लिया गया। उन्हें कोठीबाग स्थित पुलिस थाने में रखा गया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी भी नजरबंद हैं।
पहले हड़ताल की दी थी धमकी
आम नागरिकों की कथित तौर पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मौत और वरिष्ठ पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या के विरोध में, अलगाववादियों ने जॉइंट रेजिस्टेंस लीडरशिप (जेआरएल) के बैनर तले गुरुवार को हड़ताल करने की घोषणा की थी। शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षाकर्मियों की 14 जून को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
सीजफायर बढ़ाने से किया था इनकार
गौरतलब है कि पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने ईद के बाद घाटी में सीजफायर बढ़ाने से इनकार कर दिया था। रमजान के दौरान सीजफार के बावजूद आतंकी घटनाओं में 265 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। इस वजह से सीजफायर करने का मोदी सरकार का फैसला आलोचना के घेरे में आ गया था। सीजफायर खत्म होने के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि घाटी में आतंकियों के खिलाफ सेना के ऑपरेशन में तेजी आएगी। इसके अलावा कट्टरपंथी और अलगाववादियों पर भी सख्ती बढ़ाई जाएगी।
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