कठुआ। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को आर्टिकल 370 का मुद्दा उठने के बाद सियासत तेज हो गई है। विधानसभा के पहले सत्र में अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के विरोध में प्रस्ताव पेश करने पर पश्चिमी पाकिस्तान से आए रिफ्यूजियों ने प्रतिक्रिया दी।
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कठुआ में रहने वाले रिफ्यूजी देस राज ने बताया कि वह कई सालों से यहां रह रहे हैं और आर्टिकल 370 की वजह से उनके पास कोई अधिकार नहीं थे। ना सरकारी नौकरी कर सकते थे और ना कोई जमीन अपना नाम करा सकते थे, लेकिन साल 2019 में आर्टिकल 370 और 35ए को निरस्त कर दिया गया। इसके बाद हमें कई अधिकार मिले हैं। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान किया। अब हमारे बच्चे किसी भी नौकरी के अप्लाई कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मेरा जन्म यही हुआ था और पहले हमारे पास किसी तरह के अधिकार नहीं थे, जिससे हमें काफी बुरा लगता था। मगर जब से आर्टिकल 370 निरस्त हुआ है, तब से हमें वह सभी हक मिल रहे हैं, जो अन्य नागरिकों को मिलते थे। हमारे बारे में किसी भी पार्टी ने नहीं सोचा। चाहे वह कांग्रेस हो या नेशनल कॉन्फ्रेंस, लेकिन जब दूसरी सरकार ने हमारे बारे में सोचा तो वह हमारी तुलना वोट बैंक से कर रहे हैं।
वहीं, प्रदीप प्रजापति ने कहा कि हम 1947 के रिफ्यूजी हैं। हमारी यहां चौथी जनरेशन है और हम आज भी अपने अधिकारों को लिए लड़ रहे हैं। बीजेपी की सरकार आने ते बाद कई बदलाव हुए और आर्टिकल 370 को निरस्त किया गया। इसके बाद ही हमें फायदा मिल पाया है। हमें एक भारतीय के तौर पर पहचान मिली है। पहले ना तो पढ़ाई का अधिकार था और ना ही मतदान करने का अधिकार था। मगर भाजपा ने हमारे हित में सोचा और हमें हमारा हक मिल पाया।
हंस राज ने कहा कि कई लोग आर्टिकल 370 के खिलाफ थे और इसकी वजह से हम अपने अधिकारों से भी वंचित थे, लेकिन आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद हमें वोट करने का अधिकार मिला है। इसके अलावा हमारे बीच से कोई नागरिक पंचायत सदस्य से लेकर विधायकी का भी चुनाव लड़ सकता है।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में सोमवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वहीद पारा ने केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के विरोध में प्रस्ताव पेश किया। इस पर विधानसभा में हंगामा हो गया। भाजपा सदस्यों ने इस प्रस्ताव का जमकर विरोध किया।
--आईएएनएस
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