श्रीनगर। जम्मू कश्मीर में सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने अपने अपने रास्ते अलग कर लिए। भाजपा के पीडीपी के साथ गठबंधन तोडऩे के साथ तीन साल पुरानी राज्य सरकार गिरने के बाद अब राज्य में राज्यपाल शासन लागू हो गया है। सीएम महबूबा मुफ्ती के सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद घाटी में 8वीं बार राज्यपाल शासन लग गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
घाटी में यह पहला ऐसा मौका है जब एनएन वोहरा के कार्यकाल में चौथी बार राज्यपाल शासन लगाया जाएगा। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा की रिपोर्ट को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। राज्य में 6 महीने तक राज्यपाल शासन रहेगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल सूबे में शांति और अमन चैन कायम रखने के लिए राज्यपाल के रूप में जो नाम सबसे आगे चल रहे हैं उनमें जम्मू-कश्मीर मामले में केंद्र के वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा और पूर्व सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग प्रमुख हैं।
दिनेश्वर शर्मा वोहरा की तरह एक नौकरशाह हैं, लेकिन वह खुफिया अफसर रहे हैं। 1976 में केरल कैडर के आईपीएस अफसर रहे दिनेश्वर 2016 में आईबी चीफ के रूप में रिटायर हुए। पिछले साल उन्हें केंद्र के वार्ताकार के रूप में नियुक्त किया गया था।
एनएन वोहरा से पहले पूर्व सेना प्रमुख एसके सिन्हा सूबे के राज्यपाल रहे थे। वोहरा की जगह दलबीर सिंह सुहाग का नाम भी सुर्खियों में है, सुहाग भी सेना प्रमुख रहे हैं। पिछले महीने 29 मई को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह सुहाग से मिलने उनके घर भी गए थे।
इससे पहले मंगलवार को सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श करने के बाद राज्यपाल वोहरा ने जम्मू कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्यपाल शासन लगाने के लिए राष्ट्रपति को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। यह चौथा मौका है जब एन एन वोहरा के राज्यपाल के रूप में कार्यकाल के दौरान जम्मू कश्मीर में केन्द्रीय शासन लगाया गया है। पूर्व नौकरशाह एनएन वोहरा 25 जून 2008 को राज्यपाल बने थे।
वोहरा ने गठबंधन सरकार से भाजपा के बाहर होने और मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के इस्तीफा देने के बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। मंगलवार को ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने आवास पर गृह सचिव राजीव गाबा और खुफिया ब्यूरो एवं उनके मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करके जम्मू कश्मीर की जमीनी स्थिति का आकलन किया था।
जानिए, जम्मू-कश्मीर में कब-कब लगा राज्यपाल शासन...
जम्मू-कश्मीर में मार्च 1977 को पहली बार राज्यपाल शासन लागू हुआ था। उस समय एल के झा राज्यपाल थे। तब सईद की अगुवाई वाली राज्य कांग्रेस ने नेशनल कांफ्रेंस के नेता शेख महमूद अब्दुल्ला की सरकार से समर्थन वापस ले लिया था।
मार्च 1986 में एक बार फिर सईद के गुलाम मोहम्मद शाह की अल्पमत की सरकार से समर्थन वापस लेने के कारण राज्य में दूसरी बार राज्यपाल शासन लागू करना पड़ा था। इसके बाद राज्यपाल के रूप में जगमोहन की नियुक्ति को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे दिया था। इस कारण सूबे में तीसरी बार केंद्र का शासन लागू हो गया था।
अक्टूबर, 2002 में चौथी बार और 2008 में पांचवीं बार केंद्र का शासन लागू हुआ।
राज्य में छठीं बार साल 2014 में राज्यपाल शासन लागू हुआ था।
पिछली बार मुफ्ती सईद के निधन के बाद आठ जनवरी, 2016 को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल का शासन लागू हुआ था। उस दौरान पीडीपी और भाजपा ने कुछ समय के लिए सरकार गठन को टालने का निर्णय किया था।
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