जम्मू कश्मीर। श्रीनगर में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा के निवास पर सभी पार्टी की बैठक चल रही है। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जम्मू कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर, बीजेपी के सतीश शर्मा मौजूद हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार गिरने के एक दिन बाद से जम्मू कश्मीर राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है। राज्यपाल वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लागू होने के मद्देनजर स्थिति पर चर्चा के लिए आज यह सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।
मौजूदा विधानसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च 2021 में खत्म हो रहा है। इसलिए राज्यपाल ने इस बैठक में चर्चा के लिए राष्ट्रीय पार्टियों की प्रदेश इकाई के प्रमुखों सहित सभी पार्टी प्रमुखों की सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
जम्मू कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी का गठबंधन हाल ही में टूट गया है। जिसके बाद अब शुक्रवार को राज्यपाल एनएन वोहरा ने राज्य में राज्यपाल शासन लागू होने के मद्देनजर स्थिति पर चर्चा करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सभी दलों को इस बैठक में बुलाया गया है। राज्य में बीजेपी-पीडीपी गठबंधन सरकार गिरने के एक दिन बाद जम्मू कश्मीर में बुधवार को राज्यपाल शासन लागू किया गया।
आपको बता दे, बीजेपी ने हाल ही ने सुरक्षा हालात के बिगडऩे का जिक्र करते हुए पीडीपी के साथ करीब तीन साल पुराना अपना गठबंधन तोड़ दिया। ऐसे में वोहरा ने राज्यपाल शासन को हटाए जाने की घोषणा होने तक विधानसभा को निलंबित स्थिति में रख दिया हैं। मौजूदा विधानसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च 2021 में खत्म हो रहा है। राष्ट्रीय पार्टियों की प्रदेश इकाई के प्रमुखों सहित सभी पार्टी प्रमुखों की एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मंगलवार (19 जून) को भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर के अपने गठबंधन को तोड़ दिया। इस गठबंधन को तोड़ते ही बीजेपी ने 2019 के चुनावों का बिगुल बजा दिया है।
खबरों की मानें तो बीजेपी को ये अच्छे से पता है कि अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों का वोट उसने हिस्से में आने वाले नहीं हैं। ऐसे में कश्मीर में सरकार के बल पर वह अपने बाकी के वोटों को नहीं खाना चाहती है। मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सरकार में शामिल रहते हुए बीजेपी को अक्सर भीतर और बाहर से हमले झेलने पड़ते थे। ऐसे में अब बीजेपी ने पीडीपी के साथ के रिश्ते को मजबूरी से बाहर निकाल लिया है। अब बीजेपी के लिए 2019 के पास किसी भी तरह की मजबूरी नहीं है।
2019 के लिए छोटे नुकसान से उठाएगी बड़ा लाभ ये हैं एक्शन प्लान...
बीजेपी को पता है कि केवल विकास के नाम पर 2019 में जनता वोट नहीं देगी। साथ ही क्षेत्रीय दलों के वोट बैंकों को तोडऩे के लिए जातियों को हिंदू पहचान तक लाना पड़ेगा। जिसके लिए ध्रुवीकरण के जरिए ही अपेक्षित वोटों को सुनिश्चित किया जा सकता है। लेकिन कश्मीर में सरकार में रहते हुए हिंदू हित पर बात करना इतना आसान नहीं होता। बीजेपी ने अब गेम खेलते हुए छोटे से नुकसान को उठाकर 2019 नें बड़े लाभ को उठाने की तैयारी कर ली है। इसकी पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि इस फैसले के लिए बीजेपी ने न तो राज्य में पिछले दिनों अपने तेवर बदले, न विरोध जताया बस समर्थन वापस का ऐलान कर दिया।
केजरीवाल को सीएम पद से हटाने की मांग को लेकर नई याचिका दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल
निर्वाचन आयोग ने यूसुफ़ पठान को प्रचार के दौरान 2011 विश्व कप की तस्वीरों के इस्तेमाल से रोका
अब्बास अंसारी पिता के जनाजे में शायद ही हो सकेंगे शामिल, लोगों ने कहा - जब राम रहीम को पैरोल तो...
Daily Horoscope