दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की भी
सेवाएं हैं। स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और
आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढक़र सहायता की है। एसएएसबी के
अधिकारियों के अनुसार, यात्रा के दौरान 24 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है,
जिनमें से 22 तीर्थयात्रियों की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है, वहीं दो
लोगों की मौत दुर्घटनाओं में हुई है।
पवित्र गुफा की खोज सन 1850 में एक
मुस्लिम चरवाहे बूटा मलिक ने की थी। किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने
चरवाहे को कोयले से भरा एक बोरा दिया था, जो बाद में सोने से भरे बोरे में
बदल गया था। लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने
वाले चढ़ावे का कुछ भाग दिया जाता है। इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा का
समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा।
(IANS)
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