नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में पिछले दिनों आतंकी अबू दुजाना और आरिफ के मारे
जाने के बाद कई आतंकी संगठन के बारे में खुलासा हुआ है। मीडिया में चल
रही खबरों के अनुसार लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के
बाद घाटी में अब अल कायदा भी अपने संगठन फैला सकता है। आपको बता दें कि ये
दोनों ही आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा से अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन अल-कायदा
में चले गए थे। अल-कायदा का गठन 1988 में ओसामा बिन लादेन ने किया था।
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आरिफ
के भाई और अबू दुजाना की अंतिम फोन कॉल से यह खुलासा हुआ है कि लश्कर के
कमांडर अबू दुजाना ने अल-कायदा की कश्मीर सेल अंसार गजवल-उल-हिंद को जॉइन
कर लिया था। आपको बता दें कि घाटी में अल-कायदा की इस सेल का लीडर जाकिर
मूसा है। शुक्रवार को जाकिर मूसा ने अबू दुजाना और आरिफ की तारीफ करते हुए
एक विडियो भी जारी किया था। इस विडियो में कहा गया था कि यह दोनों आतंकवादी
घाटी में अल-कायदा के पहले शहीद हैं। यह विडियो मूसा के सहयोगियों द्वारा
एक गुप्त जेहादी वॉट्सऐप ग्रुप पर शेयर किया गया था।
आरिफ मरने
से पहले अपने परिवार और साथियों को फोन कॉल में अपने परिवार से यह कहता
सुनाई दे रहा है कि मरने बाद उसकी लाश को पाकिस्तानी झंडे में न लपेटा जाए।
आरिफ ने कहा था, कृपया मरने के बाद अंतिम संस्कार के दौरान मुझे केवल
तौहीद झंडे (अल-कायदा द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला झंडा) में ही लपेटा
जाए। इसके जरिए मेरे बलिदान का सम्मान करना, मेरे लिए दुआ करना। मैं
तुम्हारी कामयाबी की भी दुआ करता हूं, तुम जरूर कामयाब होगे। इस क्लिप में
आरिफ अपने परिवार और दोस्तों से यह भी कह रहा है कि उसे दुजाना भाई से दूर
नहीं किया जाए और दुजाना का अंतिम संस्कार पीओके के गिलगित बल्टिस्तान में
नहीं बल्कि कश्मीर में ही किया जाए। बता दें की अबू दुजाना पाकिस्तान के
कब्जे वाले कश्मीर के गिलगित बल्टिस्तान का रहना वाला था।
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