धनीराम पर अपने विजयरथ को आगे बढ़ाने और कांग्रेस को इस क्षेत्र में मजबूत
करने का दबाव रहेगा। वहीं भाजपा ने राजेश कश्यप को धनीराम के खिलाफ चुनाव
मैदान में उतारा है। पेशे से डॉक्टर भाजपा प्रत्याशी डॉ. राजेश कश्यप का
मुकाबला अपने ही ससुर और कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल धनीराम से है। कश्यप
पिछले चुनावों में अपने ससुर के लिए वोट मांग रहे थे और आज उन्हीं के खिलाफ
वोट मांगते नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि सोलन विधानसभा में दोनों
उम्मीदवार एक-दूसरे की कमियां गिनाने के बजाय अपनी प्राथमिकताएं बताने में
लगे हैं। ये भी पढ़ें - बाबा का चमत्कार या लोगों का अंधविश्वास!
इसके साथ ही चुनाव मैदान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट के
उम्मीदवार अजय भाटी और निर्दलीय उम्मीदवार शशिकांत चौहान मुख्य पार्टियों
के खिलाफ अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। सोलन विधानसभा चुनाव का रण महाभारत की
तरह एक ही परिवार में बंट गया है। एक तरफ ससुर, तो दूसरी तरफ दामाद।
क्षेत्र के मतदाता और परिवार के लोग धर्मसंकट में हैं कि आखिर दोनों में से
किसको जिताया जाए। दोनों दल क्षेत्रीय मुद्दे उठाए बिना चुनाव प्रचार कर
रहे हैं, जिसके कारण जनता भी साइलेंट मोड में चली गई है। हिमाचल प्रदेश में
चुनाव 9 नवंबर को होना है। वोटों की गिनती गुजरात चुनाव के बाद 18 दिसंबर
को होगी।
आईएएनएस
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