इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान ने कहा कि कोरिया और
विश्व बैंक के विशेषज्ञ हिमाचल प्रदेश में ठोस अपशिष्ट समस्या और चुनौतियों
के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने के लिए पर्यावरण विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विभाग और अन्य हितधारक विभागों के साथ मिलकर काम करेंगे।
आरडी
धीमान ने कहा कि बैठक के दौरान आपसी सहयोग के क्षेत्रों की पहचान की गई है।
जिसमें हिमाचल प्रदेश में जलवायु क्षेत्र आधारित नगरपालिका ठोस अपशिष्ट
प्रबन्धन रणनीति विकसित करना शामिल है। साथ ही सर्वोत्तम प्रथाओं के माध्यम
से प्रौद्योगिकी हंस्तातरण, अनुकुलित मॉडल के लिए प्रशिक्षण और नियम
पुस्तिका को तैयार, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट पर क्षमता
निर्माण और छोटी एवं सूक्ष्म मॉडल आधारित ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन सुविधाओं के
विकास के लिए वितीय सहायता शामिल है।
पर्यावरण, विज्ञान और
प्रौद्योगिकी विभाग के निदेशक डीसी राणा ने बैठक के दौरान कहा कि कोरिया और
विश्व बैंक की यह टीम दक्षिण एशिया में तीन देशों पाकिस्तान, नेपाल और
भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का तकनीकी विश्लेषण करेगी और हिमाचल सरकार के
साथ काम करेगी।
उन्होंने कहा कि यह विश्लेषण अगले 9 महीनों में
पूरा हो जाएगा और उसके बाद ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन और इसके लिए नीधि जुटाने
के लिए अलग-अलग गतिविधियों को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि टीम कल
बद्दी बरोटीवाला नालागढ़ विकास प्राधिकरण (बीबीएनडीए) और उसके बाद धर्मशाला
का दौरा करेगी।
सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड डॉ
आर.के. पूर्थी, कोरियाई प्रतिनिधियां प्रोफेसर डॉ ली डौंग हून और चांग
क्वो चो ने इस अवसर पर ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन पर प्रस्तुतियां दी। प्रधान
मुख्य अरण्यपाल अनिल कपिल, निदेशक ग्रामीण विकास राकेश कंवर, निदेशक शहरी
विकास राम कुमार गौतम, अतिरिक्त निदेशक पर्यावरण प्रवीण गुप्ता और राज्य
सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में भाग लिया।
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