मनाली । हिमाचल प्रदेश के लाहौल घाटी में रोहतांग दर्रे के नीचे बनाई गई 9.2 किलोमीटर लंबी घोड़े के नाल के आकार की सिंगल-ट्यूब, टू-लेन अटल टनल (सुरंग) का निर्माण पूरा होने के साथ क्षेत्र में समृद्धि आने की एक उम्मीद जगी है। यहां हर सर्दियों में 20,000 लोग देश के बाकी हिस्सों से कट जाते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह भारत की रणनीतिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है।
चूंकि यह घाटी को दुनिया के बाकी हिस्सों के करीब लाती है, यहां तक कड़कड़ाती सर्दियों के महीनों के दौरान भी जब यह क्षेत्र बर्फबारी से ढक जाता है, तो यहां के लोग सुरंग के उद्घाटन के साथ निरंतर आपूर्ति, व्यापार और पर्यटन को लेकर उत्सुक हैं, जिसका नाम रोहतांग दर्रे के नाम पर पहले रोहतांग टनल था।
रक्षा मंत्रालय की एक शाखा, बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा एफकॉन्स के सहयोग से इसका निर्माण किया गया है। 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे।
सुरंग का उत्तर पोर्टल लाहौल और स्पीति जिले की ओर है, जबकि दक्षिण पोर्टल मनाली से लगभग 30 किलोमीटर दूर धुंदी की ओर है।
केलांग के 80 साल के किसान बिधि चंद ने फोन पर आईएएनएस को बताया, "हम उस सुरंग के पूरा होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, जिसे शुरू में 2015 तक पूरा करने का प्रस्ताव था।"
उन्होंने कहा, "यह हमारी परेशानियों को हमेशा के लिए खत्म कर देगा।"
सिसु गांव के हीरा सिंह ने कहा, "हम खुश हैं कि कम से कम अपने जीवनकाल में, हम उस सुरंग को देख पाएंगे जो लाहौल के लोगों के लिए राज्य के बाकी हिस्सों के साथ हर मौसम में कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने वाली है।"
सिसु वह स्थल है जहां स्थानीय लोग पारंपरिक कपड़े पहनकर गर्मजोशी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत करेंगे। वह दक्षिण पोर्टल पर सुरंग का उद्घाटन करने के बाद एक छोटी जनसभा को संबोधित करने के लिए वहां पहुंचेंगे।
दक्षिण पोर्टल की ओर 10 मिनट से भी कम समय में 9.2 किलोमीटर लंबी सुरंग को पार करने के बाद मोदी सिसु की ओर बढ़ेंगे।
वह सुरंग की दक्षिण पोर्टल की ओर सोलंग घाटी में अपनी दूसरी और आखिरी छोटी जनसभा में भाग लेंगे।
सुबह मोदी सुबह 9.30 बजे मनाली के पास हिमपात और हिमस्खलन अध्ययन प्रतिष्ठान (एसएएसई) के हेलीपैड बेस पर उतरेंगे।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) की चेयरपर्सन सोनिया गांधी द्वारा 28 जून, 2010 को मनाली के पास सुरम्य सोलंग घाटी में 1,495 करोड़ रुपये की लागत वाले सुरंग का शिलान्यास किया गया था।
सुरंग जोकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक सपना था और जिसका नामकरण मरणोपरांत उनके नाम पर किया गया, इसका निर्माण फरवरी 2015 तक पूरा होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका था।
बीआरओ के अनुसार, देरी के बावजूद सुरंग का निर्माण 4,083 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि में से 3,200 करोड़ रुपये के भीतर पूरा हो गया।
मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, जो मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, लेकिन कोविड के समय को देखते हुए, उन्होंने कहा कि लाहौल घाटी के ठंडे स्थानों के लिए यह सुरंग एक वरदान साबित होगी, जहां 20,000 लोग कड़ाके की सर्दी में देश के बाकी हिस्सों से कटे हुए रहते हैं।
उन्होंने कहा कि सख्त 'फिजीकल डिस्टेंसिंग' मानदंडों को सुनिश्चित करने के लिए समारोह को बड़े पैमाने पर नहीं मनाया जा रहा है।
सुरंग के कारण मनाली और केलांग के बीच यात्रा के समय को कम करने और लगभग 46 किलोमीटर दूरी को कम करने के अलावा सुरंग से होकर किसी भी मौसम में प्रतिदिन 3,000 वाहन गुजर सकते हैं।
होटल व्यवसाय से जुड़े नकुल बोध ने कहा कि सुरंग के निर्माण से लाहौल घाटी में सालभर पर्यटकों की आवाजाही सुनिश्चित होगी, जिससे स्थानीय समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
--आईएएनएस
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