शिमला। भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा ने कहाकि हिमाचल प्रदेश की एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किरकिरी हुई है और जिस प्रकार से एक वीडियो मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह जंगली मुर्गे की बात कर रहे हैं।
वह मुख्यमंत्री हैं युवाओं की प्रेरणा भी हैं और साथ में वह प्रदेश के प्रमुख नागरिक भी है, वह प्रदेश की जनता को क्या मैसेज देने का प्रयास कर रहे हैं। आप उसमें सुन सकते हैं कि डीएसपी साहब आप जंगली मुर्गा खाएंगे, जब उन्होंने मना किया कि मैं वेजीटेरियन हूं तो उसके उपरांत उन्होंने अपने साथ बैठे कैबिनेट मंत्री को पूछते हैं कि धनीराम सांडेल जी आप तो खा ही लीजिए और जब वह भी मुकर गए तो सीएम बोलते है सभी वेज है तो उसके उपरांत कहते हैं कि खीमटा जी आप तो खाते ही होंगे तो सीएम क्या मैसेज देना चाहते हैं? ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यहां मैं वाइल्ड प्रोटेक्शन एक्ट का का जिक्र करना चाहूंगा 1972 का यह एक्ट है जो 2022 में संशोधित हुआ था और वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत जंगली मुर्गा जो है वह शेड्यूल कैटेगरी बर्ड है जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ही स्वयं जंगली मुर्गे को मारने की बातें करते हैं उनको खाने की बातें करते हैं तो वह ऑल ओवर क्या प्रदेश में शिकार को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं और वह यह बात भी कर रहे हैं कि ऐसे शेड्यूल्ड कैटेगरी एनिमल्स को मारा भी जाए और खाया भी जाए, तो यह मैसेज मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता और युवाओं को देना चाहते हैं कि शिकार फिर से शुरू करें।
जो मुख्यमंत्री स्वयं इस प्रकार की वाणी इस्तेमाल करता है तो व वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट को सख्ती से कहां लागू कर पाएगा यह हम मान सकते हैं। इससे पहले जो है समोसे के ऊपर जांच का एक विषय सामने आया था तब हिमाचल प्रदेश की किरकिरी हुई थी। अब जंगली मुर्गे के ऊपर जो है वह विषय आया है अब ओबवियसली मुख्यमंत्री इसके अंदर इवॉल्वड है, तो इसमें लगता है कि सीआईडी इसमें फिर से जांच ना बिठा दे।
जिन लोगों ने रिकॉर्डिंग की है इन पर सीआईडी जांच ना बिठा दे और जिन लोगों ने रिकॉर्डिंग की है उनके मोबाइल फॉरेंसिक लैब ना भेज दिए जाए और ऐसा ना हो कि वहां जिन्होंने वह जंगली मुर्गा खाया उनको आईजीएमसी अल्ट्रासाउंड के लिए ना ले जाए। तो कुल मिलाकर यह विषय जो है वह अपने आप में शर्मनाक है।
यहां मैं इनको बताऊंगा कि यह वही मुख्यमंत्री है जो अपनी प्रजा के साथ नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा चलाए गए जनमंच के बारे में कई बातें करते थे, जनमंच जो जनता की सेवा का माध्यम था और वहां पर अधिकारी स्पॉट पर जाकर उनकी समस्याओं का निवारण करते थे, तत्कालीन मंत्री साथ होते थे और उसके बाद वहां फुलके और सब्जियां खिलाई जाती थी। जिनका जिक्र यह कांग्रेस नेता करोड़ों की राशि में स्वयं करते थे।
आप एक पॉलिटिकल टूरिस्ट बन बैठे हैं और आप इस दूरगामी इलाकों में सैर सपाटे के लिए जाते हैं।
आप कहते है कि हम उन क्षेत्रों में एक रात रुकने वाले पहले मुख्यमंत्री है तो पब्लिसिटी स्टंट में तो आप कमी रखते नहीं है, पर मुख्यमंत्री आप जहां गए तो भाजपा आपसे पूछना चाहती है कि क्या आपके अफसरों ने एक भी किसी ऐसी शिकायत का निवारण किया जिससे जनता को किसी प्रकार का लाभ हुआ।
ऐसी तो कोई शिकायत का निवारण का उदाहरण हमारे सामने आया नहीं। उसके उपरांत जब आप दौरे पर जाते हैं तो वहां पर केवल मात्र पिकनिक मामले का काम करते हैं और पिकनिक में आपका भोजन जंगली मुर्गा होता है, तो कुल मिलाकर यह शर्मनाक बात है।
इसमें आप और आपके साथ जो गए लोग थे और सरकार ने जो मेन्यू जिसके अंदर लिखा था आइटम जंगली मुर्गा, इस सबको लेकर जनता से सभी को सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए।
आप तो मुख्यमंत्री है खैर आप तो ना माफ़ी मांगेगे पर जो आपके साथ गए हैं आपका पक्ष रखते हुए लोगों से मांग ही लेनी चाहिए। माफी के साथ में अगर आप एक्ट पढ़ेंगे तो उसमें तीन से सात साल की सजा का प्रावधान भी है। भाजपा निमन स्तरीय राजनीति नहीं करती है, तो हम इसके ऊपर जो है कोई केस दर्ज की बात नहीं करते हैं पर अगर कोई एनिमल लवर इसमें जो है वह केस दर्ज कर दे तो वह अलग बात है अलग विषय है। - खासखबर नेटवर्क
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