शिमला। शिमला से कालका रेलखंड की 96 किलोमीटर की दूरी को तीन घंटे में पूरा कराने के प्रयासों में जुटा रेलवे अब नई तकनीक का प्रयोग कर रहा है। रेलवे इसके तहत ट्रैक की ऊंचाई बढ़ा रहा है और रेल पटरियों एवं स्लीपर में भी सुधार किया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आपको बता दें कि शिमला-कालका रेलखंड में 102 सुरंगें हैं और सैकड़ों घुमावदार मोड़ हैं। इस कारण ट्रेन की रफ्तार कम रहती है। नई तकनीक के बाद ट्रेन की स्पीड 48 डिग्री के तीव्र घुमाव पर भी बनी रहेगी। हाल ही कालका-शिमला रेलमार्ग का निरीक्षण करने पहुंचे रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस ट्रैक पर चलने वाली गाड़ियों का समय करीब पांच घंटे से कम करके तीन घंटे करने की संभावनाएं तलाशने को कहा था।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार रेल मंत्री के कालका-शिमला रेल मार्ग पर यात्रा अवधि तीन घंटे करने के निर्देश के बाद अब इस वर्ष के अंत तक रिपोर्ट सौंपी जानी है। फिलहाल ट्रायल किए जा रहे हैं। शिमला से शोघी के बीच रफ्तार बढ़ाने के लिए ट्रैक को बेहतर बनाया जा रहा है। 22 किलोमीटर लंबे इस ट्रैक पर चेकरेल डाला जा रहा है, ताकि तेज गति से चल रही ट्रेन का तीव्र घुमाव पर संतुलन बना रहे। रेलवे अधिकारियों को उम्मीद है कि चेकरेल तकनीक से इस रूट पर ट्रेन 30-33 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकेगी, जो अभी 20-22 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती है। शिमला-कालका रेलमार्ग पर रेलवे ट्रैक की ऊंचाई बढ़ाने के साथ ही पटरियों के बीच रोड़ी एवं पत्थर भी डाले जा रहे हैं। रेलवे इस ट्रैक पर जल्द ही पूर्ण पारदर्शी कोच उतारेगा। यात्री इस कोच में बैठकर कालका-शिमला के मनोरम दृश्य का आनंद ले सकेंगे।
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