शिमला। एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में हिमाचल प्रदेश सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को हिमाचल के सिरमौर जिले की गिरी नदी पर बनने वाली रेणुका परियोजना के बिजली घटक का 90 प्रतिशत वहन करने के लिए राजी करने में सफल हुई है। यह निर्णय नई दिल्ली में केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रेणुका परियोजना के अंतर्गत गिरी नदी पर 148 मीटर ऊंचा बांध बनाया जाएगा, जिसकी जल भण्डारण क्षमता 498 मीलियन क्यूबिक मीटर होगी। इसके पावर हाउस से 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। परियोजना के अंतर्गत बिजली उत्पादन के पूर्ण अधिकार हिमाचल के पास रहेंगे। वर्ष 2015 के लागत अनुमान के आधार पर परियोजना की कुल लागत 46 हजार करोड़ रुपए है, जिसमें से जल घटक 4325 करोड़ रुपए है, जबकि बिजली घटक 275 करोड़ रुपए होगा।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि परियोजना के जल घटक का बंटवारा केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा 90:10 के अनुपात में किया जाएगा। जल घटक के 10 प्रतिशत हिस्से को लाभान्वित होने वाले राज्य वहन करेंगे। हिमाचल प्रदेश कुल जल हिस्से के 3.15 प्रतिशत का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होगा और जल प्रयोग के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है। हिमाचल को अपने 3.15 प्रतिशत हिस्से को उपयोग करने के लिए किसी अनापत्ति प्रमाण-पत्र की भी आवश्यकता नहीं होगी। राज्य सरकार के पास अनुपयोगी जल को किसी अन्य राज्य को बेचने का भी अधिकार होगा।
भारत सरकार ने परियोजना की सभी भू-अधिग्रहण लागत को वहन करने को सैद्धान्तिक मंजूरी प्रदान की है, जिसमें वन, पर्यावरण और पारिस्थितिकीय लागत शामिल है। केन्दीय जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश सरकार को पहले ही 446.96 करोड़ रुपए की राशि जारी की है। शेष राशि के भुगतान के लिए भी केंद्र सरकार तैयार है। बैठक में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडू तथा सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख अभियन्ता ने राज्य सरकार का पक्ष रखा।
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