शिमला। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज कहा की अप्रैल, 2019 के महीने के जीएसटी राजस्व संग्रह में उछाल ने राहुल गांधी के इस तर्क को जोरदार तरीके से ध्वस्त कर दिया है कि यह गब्बर सिंह टैक्स है न कि व्यापारियों के हित में। देश में इसके कार्यान्वयन के बाद अप्रैल के महीने में जीएसटी से उच्चतम संग्रह के विपरीत, इस तथ्य को स्थापित करता है कि देश भर के व्यापारियों को वर्तमान जीएसटी कराधान प्रणाली में पूरी तरह से विश्वास है, हालांकि अभी भी व्यापारियों को जीएसटी अनुपालन में कुछ समस्याएं महसूस हो रही हैं। जीएसटी से राजस्व वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि व्यापारिक समुदाय ने इस कर प्रणाली को अपने व्यापार के अभिन्न अंग के रूप में जीएसटी कराधान प्रणाली को अपनाया है ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
खंडेलवाल ने आगे कहा कि पहले के वैट शासन की तुलना में जीएसटी में न केवल राजस्व बल्कि जीएसटी के तहत करदाताओं की संख्या भी दोगुनी हो गई है, जो इस बात को दर्शाता है कि अधिक से अधिक व्यापारी कराधान प्रणाली को अपनाना चाहते हैं और विशेष रूप से यह तब है जब जीएसटी की सीमा को 40 लाख रुपये और कंपोजिशन स्कीम को बढ़ाकर 1.5 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
खंडेलवाल ने कहा कि राहुल गांधी को जीएसटी के बारे में अपने विचारों का आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और इसे गब्बर सिंह टैक्स कहना बंद कर देना चाहिए। व्यापारियों को जीएसटी कराधान प्रणाली के तहत विशेष रूप से अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर इंस्पेक्टरों के लगातार आने की समस्या से निजात मिली है जिससे देशभर के व्यापारियों में जीएसटी के प्रति भरोसा बढ़ा है। उन्होंने कहा की नई सरकार बनने के बाद, कैट व्यापारियों के अन्य मुद्दों और समस्याओं को नई सरकार और जीएसटी कॉउन्सिल के सामने उनके शीघ्र समाधान के लिए उठाएगी।
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