शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में बुधवार को मुस्लिम समुदाय ने मोहर्रम के मौके पर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए जुलूस निकाला। मुहर्रम के मौके पर कृष्णा नगर के इमामबाड़े से ताजिये के साथ बालूगंज बैरियर तक जुलूस निकाला। कंधों पर ताजिया उठा हाथों में अलम थामे जुलूस सर्कुलर रोड गुरुद्वारा और पुराने बस अड्डे होते हुए बालूगंज बैरियर तक निकला। सिरों पर पट्टियां बांधे शिया समुदाय के लोगों ने ए हुसैन मेरे दिल में रहना के गीत गाए। पूरा शहर इन गीतों से गूंज उठा। मोहर्रम के अवसर पर शिया समुदाय ने मोहम्मद हुसैन की कर्बला के मैदान में उनकी शहादत का मातम मनाया।
जुलूस में बुजुर्ग महिलाएं, बच्चे और भारी युवा भारी संख्या युवा शामिल हुए। इस्लामिक कैलेंडर में यह दिन बेहद अहम माना गया है क्योंकि इसी दिन हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी।
इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन ने कर्बला में अपने 72 साथियों के साथ शहादत दी थी और उनकी शहादत को शिया समुदाय याद करता है।
मौलाना काजमी रजा नकवी ने कहा कि आज से 1400 वर्ष पूर्व कर्बला के मैदान में मोहम्मद हुसैन ने इंसानियत की खातिर शहादत दी थी। उनकी शहादत को याद करते हुए आज के दिन शिया समुदाय द्वारा जुलूस निकाला जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने एक समुदाय नही अपितु पूरी इंसानियत के लिए अपना सर कलम करवा दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी जुल्म और अत्याचार के आगे कभी सिर नहीं झुकाया और यही संदेश सभी लोगों को दिया। उन्होंने कहा कि आज के दिन उनकी याद में मातम मनाया जाता है और दुआ की जाती है कि देश मे अमन और चेन कायम रहे।
पुतिन ने जमकर की भारत की तारीफ, पीएम मोदी को फिर बताया अच्छा मित्र
पीएम मोदी से मिले पैरालंपिक खिलाड़ी, 2028 में 40 से अधिक पदकों की जताई उम्मीद
यूपी विधानसभा उपचुनाव : सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों के जिलों में किया बदलाव
Daily Horoscope