शिमला। आखिर हिमाचल कांग्रेस में वीरभद्र सिंह व सुखविन्दर सिंह सुक्खू के बीच चल रही तनातनी को खत्म करने कम मकसद से कांग्रेस आलाकमान ने सुखविन्दर सिंह सुक्खू को हटाकर हिमाचल कांग्रेस की कमान पार्टी नेता कुलदीप राठौर को सौंप दी है। इसी नियुक्ति से एक तरह से पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बड़ी राहत मिली है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्दर सिंह सुक्खू के खिलाफ मुखर थे व उन्हें हटाने की मांग कर रहे थे। उनकी शर्त थी कि जब तक सुक्खू नहीं हटेंगे, तब तक वह पार्टी के लिये चुनाव प्रचार नहीं करेंगे। अध्यक्ष के तौर पर सुखविन्दर सिंह सुक्खू का कार्यकाल पहले ही खत्म हो चुका था। लिहाजा नये अध्यक्ष की ताजपोशी की चर्चाओं ने जोर पकड़ा था।
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लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश में संगठन को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए हिमाचल कांग्रेस की ओवरहालिंग करने का हाईकमान मन बना चुका था। लेकिन राठौर की नियुक्ति में न तो वीरभद्र सिंह की चली न ही सुखविन्दर सिंह सुक्खू की। राठौर की नियुक्ति ने पंरपरागत नेताओं को एक तरह से जोर का झटका धीरे से दिया है। भले ही अपने विरोधी को हटवा कर वीरभद्र सिंह खुश हों।
पेशे से वकील कुलदीप राठौर को पूर्व केन्द्रिय मंत्री आनंद शर्मा का करीबी समझा जाता है। लेकिन उन्होंने कभी भी खुलेतौर पर वीरभद्र सिंह का विरोध भी नहीं किया। मूल रूप से जिला शिमला के ठियोग के रहने वाले राठौर छात्र राजनीति के वक्त से एनएसयूआई से लेकर युवा कांग्रेस में काम करते-करते वह कांग्रेस पार्टी में विभिन्न पदों पर रहे। कुलदीप राठौर मिलनसार के तौर पर पहचाने जाते हैं। अपने मूल पेशे वकालत में भी वह विभिन्न एसाइनमेंट पर प्रदेश व प्रदेश से बाहर काम कर चुके हैं। उनकी इस ताजपोशी के पीछे प्रदेश में भी पहले वरिष्ठ नेताओं को एकमत किया गया।
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