उन्होंने कहा कि हिमाचल ने देश हित की विभिन्न विकासात्मक
परियोजनाओं के लिए अपना अमूल्य योजना दिया है और राज्य के नई हितों की
अनदेखी हुई है, में चाहे वह बीबीएमबी में बिजली में हिस्सेदारी हो या पौंग
बांध विस्थापितों को मुआवजे का मामला हो। उन्होंने कहा कि राज्य राजस्थान,
हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और चंड़ीगढ़ को जल उपलब्ध करवा रहा है। उन्होंने
केन्द्र से राज्य के हितों की रक्षा करने और प्रदेश को उसका उचित हिस्सा
प्रदान करने आग्रह किया।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री ने
परियोजनाओं की बेहतर निगरानी और कार्यन्वयन के लिए राष्ट्रीय जल आपूर्ति और
सिंचाई प्राधिकरण के गठन का भी सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि हिमाचल
मध्यम और कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जल संचयन और अधिक ऊंचाई वाले
क्षेत्रों में हिम संचयन के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है जिससे जल संरक्षण
में मदद मिलेगी। उन्होंने केन्द्र सरकार से इन परियोजनाओं के लिए समर्थन
मांगा जिससे राज्य जल संरक्षण में अहम भूमिका निभा सके।
उन्होंने
कहा कि हिमाचल जल संरक्षण के बारे में गंभीर है तथा हिमाचल सरकार स्कूलों
के माध्यम से समाज के सभी वर्गों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा
करने के लिए प्रयासरत है। सम्मेलन के दौरान मंत्री के साथ सिंचाई एवं जन
स्वास्थ्य सचिव आर.एन बत्ता भी उपस्थित थे।
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