शिमला । हिमाचल प्रदेश 'प्राकृतिक
खेती खुशहाल किसान' योजना की राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई और वैज्ञानिक
एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)- माइक्रोबियल प्रौद्योगिकी
संस्थान, चंडीगढ़ के साथ साझेदारी में सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती
(एसपीएनएफ) के लिए इस्तेमाल की जा रही देशी गायों के गोबर और मूत्र का
माइक्रोबियल अध्ययन करेगा।
एसपीएनएफ एक गैर-रासायनिक, कम लागत वाली, जलवायु-लचीला कृषि तकनीक है, जिसे
2018 में लॉन्च होने के बाद से 'प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान' योजना के
तहत बढ़ावा दिया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने और पौधों
की सुरक्षा के लिए प्रमुख घटकों के रूप में देशी गाय की नस्लों के गोबर और
मूत्र के उपयोग की सिफारिश करता है।
हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य
के किसानों को 1,000 देशी गायों की खरीद के लिए वित्तीय सहायता दी है। गाय
का गोबर एक समृद्ध माइक्रोबियल विविधता, बैक्टीरिया की विभिन्न प्रजातियों,
प्रोटोजोआ और खमीर को बरकरार रखता है जो पौधों की वृद्धि और पौधों की
सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गाय के गोबर के
बैक्टीरिया का उपयोग स्थायी कृषि में योगदान देने के अलावा पोषक तत्व जुटा
सकता है।
सीएसआईआर के निदेशक संजीव खोसला के नेतृत्व में
वैज्ञानिकों की टीम इस सप्ताह उन खेतों का दौरा करने के लिए शिमला में थी,
जहां प्राकृतिक खेती की तकनीक का पालन किया जा रहा है।
टीम ने टोटू
ब्लॉक के मूलबेरी गांव में एक सेब के बाग और शिमला जिले के मशोबरा ब्लॉक के
कोरा गांव में पॉलीहाउस में प्राकृतिक खेती का अभ्यास करने वाले एक सब्जी
उत्पादक का दौरा किया।
उन्होंने किसानों और परियोजना अधिकारियों के
साथ बातचीत की और प्राकृतिक खेती की मूल अवधारणा, इसके निर्माण और
कार्यप्रणाली और खेती और उत्पादन पर प्रभाव और किसानों की अर्थव्यवस्था पर
भी ध्यान दिया।
पशु चिकित्सा अधिकारी सुशील सूद ने कहा, "हिमाचल
प्रदेश सरकार और सीएसआईआर-आईएमटेक के बीच जल्द ही एक समझौता ज्ञापन पर
हस्ताक्षर किए जाएंगे।"
उन्होंने कहा कि आईएमटेक के साथ सहयोगात्मक
शोध में देशी गाय के गोबर से बैक्टीरिया की एक श्रृंखला को अलग करने का
प्रस्ताव है, इसके बाद सुभाष पालेकर प्राकृतिक खेती प्रथाओं में प्रमुख
उर्वरता बढ़ाने वाले घटकों के संदर्भ में उनकी पहचान और प्रारंभिक जांच की
जाएगी।
उन्होंने कहा, "कार्य योजना का उद्देश्य ताजा गाय के गोबर से
माइक्रोबियल डीएनए का निष्कर्षण, प्रवर्धन, क्लोनिंग और अनुक्रमण,
बीजामृत, जीवामृत और घनीवमृत जैसी तैयारियों में माइक्रोबियल विविधता और
मात्रा का मूल्यांकन करना है, ताकि विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के लिए
इन मिश्रणों के निर्माण को मानकीकृत किया जा सके।"
राज्य परियोजना
कार्यान्वयन इकाई प्राकृतिक खेती के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए
पालमपुर और सोलन में कृषि विश्वविद्यालयों के साथ पहले ही करार कर चुकी है।
--आईएएनएस
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