शिमला। भाजपा सांसद सुरेश कश्यप ने लोक सभा में पूछा क्या प्रधानमंत्री यह बताने की कृपा करेंगे कि मिशन कर्मयोगी और हिमाचल प्रदेश सहित विशेषकर शिमला में सिविल सेवकों हेतु 'नियम से भूमिका' में आमूल-चूल परिवर्तन का राज्य-वार ब्यौरा क्या है ? क्या मिशन कर्मयोगी ने शासन में नई संस्कृति के विकास में योगदान दिया है? और यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है?
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उत्तर में कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह "मिशन कर्मयोगी" के तहत सरकारी कर्मचारियों के क्षमता निर्माण का फोकस, भूमिका-आधारित प्रशिक्षण के माध्यम से उनकी अभिवृत्ति, कौशल और ज्ञान को बढ़ाने पर है। इसने प्रशिक्षण पारि-तंत्र को नियम-आधारित, आपूर्ति-संचालित से भूमिका-आधारित, मांग-संचालित क्षमता निर्माण में बदल दिया है, जहाँ क्षमता निर्माण को सरकार में प्रत्येक भूमिका और प्रत्येक सरकारी पदाधिकारी की आकांक्षाओं हेतु अपेक्षित सक्षमता के अनुरूप लक्षित किया जाता है। आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफ़ॉर्म पर 46 लाख से अधिक उपयोगकर्ता पंजीकृत हैं, जिनमें से 10.4 लाख से अधिक उपयोगकर्ता सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। हिमाचल प्रदेश में आईगॉट कर्मयोगी प्लेटफ़ॉर्म पर 168 पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं और 286 उपयोगकर्ता ने पाठ्यक्रम पूर्ण किया है। सक्षमता-आधारित क्षमता निर्माण के माध्यम से, मिशन कर्मयोगी ने नागरिक केंद्रित शासन की एक नई संस्कृति की शुरुआत की है। आईगॉट पोर्टल पर उपलब्ध कुल 1500 से अधिक पाठ्यक्रम सिविल सेवकों की व्यावहारिक, कार्यात्मक और प्रक्षेत्र (डोमेन) सक्षमताओं का निर्माण कर रहे हैं। इन पाठ्यक्रमों में सरकारी कर्मचारियों की नागरिक- केंद्रित और भविष्योन्मुखी तैयारी पर विशेष ध्यान दिया गया है।
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