शिमला। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शनिवार को यहां कालका-शिमला रेल मार्ग पर सफाई और संरक्षण अभियान का शुभारंभ किया। एक शताब्दी पुराना यह रेल मार्ग 96 किलोमीटर का नैरो गेज रेल मार्ग है, जिसे इस पहाड़ी शहर से यूरोपीय लोगों को लाने-ले जाने के लिए बनाया गया था। शिमला ब्रिटिश भारत की गर्मियों की राजधानी हुआ करती थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
देवव्रत के साथ उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने संयुक्त रूप से यूनेस्को की इस विश्व धरोहर से कूड़ा उठाकर अभियान का शुभारंभ किया। हिमाचल प्रदेश राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण ने इस अभियान को आयोजित किया था, जिसमें उच्च न्यायालय और निचली अदालतों के न्यायाधीशों, केंद्र और राज्य के अधिकारियों और करीब 10 हजार स्कूली विद्यार्थियों की भागीदारी देखने को मिली।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रेमपाल रत्न ने कहा कि इस पैमाने पर यह अपने आप में पहला अभियान है, जिसमें शिमला से कालका शहर के मार्ग समेत एक साथ 43 जगहों की पहचान कर अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के बाद निरंतर रखरखाव और पौधरोपण कार्यक्रम आयोजन किया जाएगा। यह रखरखाव और पौधरोपण क्षेत्रीय सेना के हिमाचल ‘इको-योद्धाओं’ द्वारा आयोजित किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस प्रारंभिक कदम के बाद प्रभाव आकलन और आगे की कार्यवाही करने की भी योजना बनाई गई है। कालका-शिमला रेलमार्ग नौ नवंबर, 1903 को शुरू हुआ था। यह पूर्वी भारतीय रेलवे का दिल्ली-अंबाला-कालका खंड है, जो तीनों क्षेत्रों को जोड़ता है।
--आईएएनएस
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