शिमला । हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने
सोमवार को इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि सीबीआई ने केंद्र द्वारा वित्त
पोषित मैट्रिक के बाद छात्रवृत्ति योजना के तहत गलत व अवैध भुगतान और
हेराफेरी के मामले में छह महीने बीतने के बावजूद एक भी आरोपपत्र दाखिल नहीं
किया है।
इससे पहले दिन में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हाईकोर्ट में अपनी
सातवीं स्थिति रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट के अनुसार, कथित घोटाले की जांच में
1,176 संस्थानों और 266 निजी संस्थानों में से 28 की संलिप्तता पाई गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीबीआई
के वकील ने कहा कि 17 संस्थानों के खिलाफ जांच अभी जारी है। इस पर अदालत
ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 20 अक्टूबर, 2021 को मामले की सुनवाई के लिए
सूचीबद्ध होने पर भी ऐसी ही स्थिति सामने आई थी। छह महीने बीत जाने के
बावजूद एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है।
वकील ने यह तर्क
देकर इस स्थिति को सही ठहराने की कोशिश की कि सीबीआई ने 214 गवाहों के बयान
दर्ज किए हैं, लेकिन अदालत छह महीने के भीतर जांच पूरी नहीं करने के ऐसे
औचित्य से संतुष्ट नहीं थी।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और
न्यायमूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने बिलासपुर जिले के श्याम लाल
की एक रिट याचिका पर यह आदेश पारित किया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि
शक्ति भूषण को राज्य सरकार द्वारा वित्तीय छात्रवृत्ति में हेराफेरी की
जांच के लिए नियुक्त किया गया था, उन्होंने 2018 में पहली सूचना रिपोर्ट
दर्ज की और जांच रिपोर्ट से पता चला कि छात्रवृत्ति की बड़ी राशि का
दुरुपयोग किया गया था। इसमें राज्य के भीतर के शैक्षणिक संस्थानों के
अलावा, अन्य राज्यों में स्थित कई अन्य शैक्षणिक संस्थान भी घोटाले में
शामिल थे।
इस बीच, पीठ ने सीबीआई को जांच तेजी से पूरी करने और सक्षम न्यायालय के समक्ष आरोपपत्र दाखिल करने का एक और मौका दिया।
साथ ही, इसने सीबीआई को 20 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख पर एक नई स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
--आईएएनएस
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