शिमला। हिमाचल प्रदेश कैबिनेट ने गुरुवार को अपनी दूसरी बैठक में 101 करोड़ रुपये की मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अनाथ और अपने रिश्तेदारों के साथ रहने वालों, विशेष रूप से विकलांग बच्चों, निराश्रित महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को योजना के दायरे में लाया गया है।
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अनाथ बच्चों, जिन्हें 'राज्य के बच्चे' कहा जाता है, को सरकार द्वारा गोद लिया जाएगा।
मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से विधानसभा का बजट सत्र बुलाने और इसकी अवधि 14 मार्च से 6 अप्रैल तक रखने की भी सिफारिश की। इस सत्र में 18 बैठकें होंगी।
कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बंदियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री सुख-आश्रय योजना के तहत मौजूदा आश्रय गृहों, अनाथालयों, वृद्धाश्रमों आदि का नवीनीकरण करने का निर्णय लिया।
आश्रम में रहने वाले लोगों के लिए कॉमन रूम, स्मार्ट क्लास और कोचिंग रूम, इनडोर और आउटडोर खेल सुविधाएं, म्यूजिक रूम, संलग्न वॉशरूम और अन्य आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
निराश्रित महिलाओं एवं वरिष्ठ नागरिकों एवं अनाथ बच्चों के लिए सभी मूलभूत सुविधाओं से युक्त एकीकृत परिसरों का निर्माण चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा। ये आधुनिक एकीकृत परिसर कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी और मंडी जिले के सुंदरनगर में स्थापित किए जाएंगे।
अनाथालयों में रह रहे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए पर्याप्त कोचिंग दी जाएगी। साथ ही संदर्भ पुस्तकें और अन्य अध्ययन सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी।
बयान में कहा गया है कि समाज के चुनिंदा प्रतिष्ठित व्यक्ति संरक्षक के रूप में काम करेंगे और समय-समय पर ऐसे बच्चों को परामर्श देंगे।
मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया कि 18 वर्ष की आयु के बाद अनाथ बच्चों को 27 वर्ष की आयु तक आफ्टर-केयर संस्थानों में रहने और भोजन की सुविधा दी जाएगी।
--आईएएनएस
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