शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने हाल ही में बारिश से हुई तबाही पर नियम 67 के तहत बहस की मांग खारिज होने के बाद सदन से बहिर्गमन किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप पठानिया ने नियम 67 के तहत विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को इस दलील के साथ खारिज कर दिया कि बारिश से हुई तबाही पर बहस के लिए सरकार से नियम 102 के तहत पहले ही नोटिस दिया है। इससे भाजपा विधायक उत्तेजित हो गए।
पठानिया ने कहा, "चूंकि मुद्दा समान है, इसलिए मैं दोनों प्रस्तावों को एक साथ जोड़ रहा हूं ताकि बहस हो सके।"
जैसे ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने बारिश से हुए नुकसान पर सदन में प्रस्ताव पेश करना शुरू किया, विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।
प्रस्ताव में केंद्र से इस आपदा को "राष्ट्रीय आपदा" घोषित करने की मांग की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य को उम्मीद है कि केंद्र इसे केदारनाथ, जोशीमठ और भुज की तर्ज पर राष्ट्रीय आपदा घोषित करेगा।
प्राकृतिक आपदा और संकट पर राजनीति करने के लिए विपक्ष की आलोचना करते हुए सुक्खू ने कहा कि लोगों ने आपदा राहत कोष में उदारतापूर्वक दान दिया है और भाजपा विधायकों को भी स्वेच्छा से दान करना चाहिए।
आईएएनएस
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