शिमला। हिमाचल प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने शुक्रवार को 'जबरन धर्मातरण' पर रोक लगाने के लिए विधानसभा में विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करवा लिया है। एक दिन पहले ही सदन में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा विधेयक को पेश किया गया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
विपक्ष ने हिमाचल प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2019 का समर्थन किया और यह विधेयक ध्वनिमत से पारित हुआ।
विपक्ष ने शुरू में विधेयक को पेश करने की आवश्यकता पर कुछ सवाल उठाए क्योंकि इस मामले पहले से ही एक कानून मौजूदा है जिसे कांग्रेस सरकार के शासन काल में वर्ष 2006 में लाया गया था। लेकिन, पार्टी ने बाद में नए विधेयक का समर्थन किया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एकमात्र सदस्य राकेश सिंघा ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आशंका व्यक्त की।
यह विधेयक बहकाने, जबरन, अनुचित तरीके से प्रभावित करने, दबाव, लालच, शादी या किसी भी धोखाधड़ी के तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक लगाता है। अगर कोई भी शादी केवल धर्मातरण के लिए होती है तो वह इस विधेयक के तहत अमान्य माना जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा, "यह देखा गया है कि कपटपूर्ण साधनों द्वारा धर्मातरण में वृद्धि हुई है। अगर समय रहते इसे रोका नहीं गया तो यह बात विभिन्न जातीय व धार्मिक समूहों के बीच विश्वास और आपसी विश्वास को नष्ट कर सकती है।"
उन्होंने कहा कि यदि जबरन धर्मातरण पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो इसके कारण सार्वजनिक अव्यवस्था पैदा हो जाएगी।
--आईएएनएस
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