शिमला। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा आयुर्वेद मंत्री विपिन सिंह परमार ने कहा कि प्रदेश में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रति लोगों के बढ़ते रूझान के मद्देनज़र राज्य सरकार इस प्रणाली को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित करेगी। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष की इस प्राचीन चिकित्सा पद्वति के प्रति लोगों की बड़ी विश्वसनीयता है, और बड़ी संख्या में लोग उपचार के लिये इस प्रणाली का सहारा लेते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुर्वेदिक औषधीय जड़ी-बूटियों की बहुत अधिक मांग है जिसके चलते इनके वाणिज्यिक उत्पादन से किसानों की आमदनी बढ़ने की अपार संभावनाएं माजूद हैं। उन्होंने कहा कि विभाग इन जड़ी-बूटियों के विपणन के लिये किसानों का देश की प्रमुख फार्मेसियों के साथ सम्पर्क स्थापित करवाएगा, ताकि मांग के अनुरूप किसान इन औषधीय पौधों की खेती कर सके और उनकी आर्थिकी मजबूत हो। उन्होंने कहा कि विभाग किसानों और विशेषकर युवाओं को औषधीय पौधों की खेती करने तथा इसके महत्व के बारे में जागरूक भी करेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अनीमिया की रोकथाम के लिये राज्य के तीन8 चयनित विकास खण्डों करसोग, कसौली तथा ठियोग में पायलट परियोजना आरंभ की जाएगी, जिसके लिये आगामी बजट में प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा, राष्ट्रीय पोषण मिशन को चम्बा, हमीरपुर, सोलन तथा शिमला में लागू किया जाएगा।
परमार ने आयुर्वेद विभाग में वर्ष 2018-19 के लिये 263 करोड़ रुपये के बजट प्रावधान के लिये मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पर राज्य सरकार विशेष ध्यान दे रही है और चिकित्सकों के 200 पद हाल ही में स्वीकृत किए गए हैं जिसके लिये उन्होंने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। इसके अलावा आयुर्वेद फार्मासिस्टों के 429 पदों पर नियुक्तियां दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी आयुर्वेद अस्पतालों में चिकित्सक उपलब्ध करवाए जाएंगे ताकि लोगों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पडे़।
अभिनेता गोविंदा की राजनीति में एंट्री: CM एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिवसेना में शामिल
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
मुजफ्फरनगर में पहले लगता था कर्फ्यू, अब निकल रही कांवड़ यात्रा : योगी
Daily Horoscope