शिमला। सेना प्रमुख जनरल एम. एम. नरवणे ने शुक्रवार को यहां हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से मुलाकात की और भारत-चीन सीमा ढांचे (बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्च र) के विकास से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। जनरल नरवणे ने कहा कि उन्होंने शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) में सेवा की है और वह हिमाचल को अपना पुराना घर मानते हैं। उन्होंने कहा कि वह हमेशा इस जगह का दौरा करके प्रसन्नता महसूस करते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सेना दुश्मन की हर नापाक कोशिश का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है। सेना प्रमुख ने कहा कि जहां तक चीन से लगी सीमाओं का सवाल है, बातचीत चल रही है और चिंता की कोई बात नहीं है।
उन्होंने कहा कि सेना पूरी तरह से अलर्ट पर है और भारतीय सीमा पर पर्याप्त संख्या में जवानों और मशीनरी को तैनात किया गया है।
नरवणे ने यह भी कहा कि सेना द्वारा अगले 5-10 वर्षों के दौरान सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण के लिए एक योजना तैयार की गई है, जो युवाओं के पलायन को रोकने के अलावा क्षेत्रों के विकास में मदद करेगी।
नरवणे ने आगे कहा कि युवाओं में सेना के प्रति काफी उत्साह है और वे बड़ी संख्या में सेना में शामिल होने के इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि देश के हर जिले को सेना में प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया जा रहा है।
राज्यपाल ने चीन की सीमा से लगे राज्य के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में सड़कों, हेलीपैड और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में भारतीय सेना की महत्वपूर्ण भूमिका है।
दत्तात्रेय ने कहा, सीमाओं से सटे गांवों के युवा बेहतर रोजगार के अवसरों के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है। हमें स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार और रोजगार की संभावनाएं तलाशने की जरूरत है।
राज्यपाल ने सेना प्रमुख को अवगत कराया कि हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्र के लगभग हर घर के युवा भारतीय सेना में सेवारत हैं और राज्य में पूर्व सैनिकों की संख्या भी काफी अधिक है।
उन्होंने थल सेनाध्यक्ष के समक्ष शिमला के वॉकर अस्पताल का मुद्दा भी उठाया, जिस पर नरवणे ने आश्वासन दिया कि अस्पताल को जल्द से जल्द शुरू करने का प्रयास किया जाएगा।
नरवणे ने यह भी कहा कि सेना सख्त प्रोटोकॉल का पालन कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात सेना के जवानों में कोरोनावायरस के मामले नगण्य हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि व्यापक परीक्षण किया जा रहा है और छुट्टी से लौटने वाले सैनिकों का दो बार परीक्षण किया जा रहा है, इसके अलावा उन्हें 14 दिनों के लिए पूर्ण रूप से क्वारंटीन भी किया जा रहा है।
नरवणे ने सीमावर्ती क्षेत्रों में नार्को-आतंकवाद के मामलों पर भी चिंता व्यक्त की, हालांकि उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन इस दिशा में बेहतर काम कर रहा है।
उन्होंने कहा कि महिला अधिकारी पहले से ही सेना में काम कर रही हैं, लेकिन अब सैन्य पुलिस के कोर तक भर्ती भी शुरू हो गई है और प्रतिक्रिया उत्साहजनक है।
इससे पहले, थल सेनाध्यक्ष ने यहां सेना प्रशिक्षण कमान (एआरटीआरएसी) का दौरा किया, जहां उन्हें सामरिक सैन्य भविष्य, सैद्धांतिक सुधार, परिचालन चुनौतियों और तैयारियों, तकनीकी प्रेरणा और प्रशिक्षण शिक्षाशास्त्र सहित कई मुद्दों पर जानकारी दी गई।
--आईएएनएस
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