मंडी। लेखक, निर्देशक और अभिनेता अमर स्नेह, जिन्होंने लगभग 38 साल पहले ऐतिहासिक सोमालियाई फिल्म 'द सोमाली दरविश' का निर्देशन किया था, सुर्खियों से दूर कई स्वास्थ्य समस्याओं के साथ गरीबी से जूझते हुए जिंदगी गुजार रहे हैं।
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70 वर्षीय स्नेह, मंडी से लगभग 30 किमी दूर, गोहर उपमंडल के डल गांव में किराए के मकान में रहने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
जब आईएएनएस ने फिल्म अभिनेता और निर्देशक के साथ संपर्क किया, तो उन्होंने कहा कि जब वह अपनी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए फिल्म उद्योग या सरकार से संघर्ष कर रहे थे, तब उन्हें किसी से कोई मदद नहीं मिली।
लेखक, निर्देशक और अभिनेता के रूप में फिल्मों, टेलीविजन, रेडियो और मंच पर काम कर चुके स्नेह ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि वह कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता और केंद्रीय दूरसंचार मंत्री पंडित सुख राम, जो मंडी शहर के थे, के आश्वासन पर फिल्म सिटी बसाने हिमाचल प्रदेश आए थे।
उन्होंने कहा, "मैं दिवंगत वीरभद्र सिंह से भी कई बार मिला था, जब वह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने मुझे एक अभिनय स्कूल स्थापित करने में सरकारी मदद का आश्वासन दिया था। मगर फिल्म सिटी के कॉन्सेप्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।"
इस बीच, 'बहन', 'सिनेमा-सिनेमा', 'अम्मन', 'सइयां मगन पहलवान में' और 'जन-ए-आलम' जैसी कई फिल्मों में अभिनय कर चुके स्नेह ने मंडी शहर में स्नेह फिल्म संस्थान की शुरुआत की।
पिछले कई वर्षो से अपनी खराब आर्थिक स्थिति के कारण, दूरदर्शन के स्वीकृत कमेंटेटर, स्नेह, जिन्होंने 150 फिल्मों और कार्यक्रमों के लिए कमेंट्री दी, अपने एक हमदर्द द्वारा दिए गए आवास में चले गए, जहां वह गांव के छात्रों को मुफ्त में अभिनय के टिप्स दे रहे थे।
2021 में उनके शरीर के आधे हिस्से में लकवा मार गया था।
स्नेह ने कम से कम 17 नाटकों का लेखन और निर्देशन किया है, जिनमें से 'शून्य', 'कविता कहानी के बीच' और 'परिवर्तन' लोकप्रिय हुए।
लोकप्रियता के बावजूद अभिनेता, जिन्होंने 16 देशों के बहुभाषी कलाकारों की विशेषता वाली 'द सोमाली दरविश' नामक सबसे बड़ी सोमालियाई अंग्रेजी फिल्म का निर्देशन किया था, का कहना है कि उन्हें फिल्म उद्योग द्वारा भुला दिया गया है।
उन्होंने कहा, "मरने के बाद मेरी लाश को नाटक में इस्तमाल कर लिया जाए।"
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता हेम सिंह ठाकुर ने आईएएनएस को बताया कि दूसरे कोविड-19 टीकाकरण के बाद स्नेह की तबीयत बिगड़ गई।
उन्होंने कहा, "स्नेह को कई स्वास्थ्य समस्याएं हैं। उन्हें उचित चिकित्सा जांच की जरूरत है, मगर पैसा नहीं है। उन्हें अपने दैनिक खर्चो के लिए भी वित्तीय मदद की जरूरत है।"
पत्रकार से कार्यकर्ता बने ठाकुर ने कहा, "अमर स्नेह जी अपनी मृत्यु से पहले युवाओं के साथ अपने बहुमुखी अनुभव को साझा करके समाज में योगदान देना चाहते हैं।"
अनुविभागीय मजिस्ट्रेट रमन शर्मा के नेतृत्व में जिला प्रशासन की एक टीम ने गुरुवार को स्नेह से उनके गांव में मुलाकात की और उन्हें सरकार से कुछ वित्तीय सहायता दिलाने का आश्वासन दिया।
शर्मा ने आईएएनएस से कहा, "हमें सोशल मीडिया से जानकारी मिली है कि इतनी बड़ी हस्ती हमारे इलाके में रह रही है।"
आधिकारिक टीम के अपने घर पहुंचने से अभिभूत स्नेह ने कहा कि यह सब केवल हिमाचल प्रदेश में ही संभव है।
स्नेह ने अपने कहानी संग्रह की एक प्रति एसडीएम को भेंट की। इस मौके पर उन्होंने एक इमोशनल कविता भी लिखी। कुछ पंक्तियां हैं - "कैसे जिऊं मैं, जीने को नया चेहरा दे दे। मैं गिर गया बहुत दूर, खुद से बहुत दूर।"(आईएएनएस)
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