कुल्लू। सामप्रिय कला विकास समिति ने भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग के सहयोग से रविवार देर शाम देव सदन में लोकगीत संध्या का आयोजन किया। इस संध्या में सामप्रिय कला विकास समिति के नन्हें और युवा कलाकारों ने पारंपरिक कुल्लवी और अन्य प्राचीन पहाड़ी लोकगीतों की शानदार महफिल सजाई। कार्यक्रम के दौरान समाजसेवी सुभाष शर्मा मुख्य अतिथि और जिला लोक संपर्क अधिकारी प्रेम ठाकुर विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वंदे मातरम् और सरस्वती वंदना के साथ आरंभ हुई लोकगीत संध्या के दौरान सामप्रिय कला विकास समिति के प्रशिक्षु कलाकारों ने कुल्लवी और अन्य पारंपरिक पहाड़ी लोकगीतों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियांे से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। पारंपरिक धुनों पर इन नन्हें और युवा कलाकारों ने लोक गायन की कई विधाओं के ऐसे लोकगीत प्रस्तुत किए, जिनकी मौलिकता लुप्त होने के कगार पर है। नन्हीं कलाकार यशस्वी व मोक्षिका ने पारंपरिक गीत ‘भावा रूपिये ओ’ और ओजस ने झूरी लोकगीत की बहुत उम्दा प्रस्तुतियों से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
हूमा, सोनिया, प्रेमा, अंकिता और अन्य बाल कलाकारों ने ‘लाल चीड़िये सेरी न जाणा’ और ज्योति ने लाड़ी सूरमा नाटी के माध्यम से लोकगीत की मीठी स्वर लहरियां बिखेरीं। हर्ष, वीर सिंह और साथियों ने पारंपरिक गीत जोतां रा मिर्ग प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण युवा कलाकार छविंद्र की प्रस्तुतियां रहीं। उन्होंने किसी वाद्य यंत्र के बगैर ही केवल अपने मुख से ही शहनाई जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्र की कई धुनें पेश करके सबको आश्चर्यचकित कर दिया।
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