कुल्लू । हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान हिप्पा द्वारा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कुल्लू के सहयोग से मंगलवार को बचत भवन में आपदा प्रबंधन पर तीन दिवसीय कार्यशाला की गई। समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन पर केंद्रित इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के अलावा पंचायतीराज व अन्य संस्थाओं के पदाधिकारी और निजी शिक्षण संस्थानों के प्रमुख भी भाग ले रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एडीएम अक्षय सूद ने कहा कि हाल ही के वर्षों में आपदा प्रबंधन अपने आप में एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में उभरा है। किसी भी तरह की आपदा से निबटने के लिए हमारी एक सुनियोजित, व्यवस्थित और वैज्ञानिक तैयारी होनी चाहिए। इससे आपदा के समय होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है तथा बचाव व राहत को कार्यों को प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जा सकता है। कार्यशाला के आयोजन की सराहना करते हुए एडीएम ने कहा कि इससे अधिकारी, पंचायत जनप्रतिनिधि और विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी आपदा के समय किसी न किसी रूप में अपना बेहतर योगदान देने में सक्षम होंगे।
इससे पहले हिप्पा के प्रशिक्षण निदेशक देशबंधु कायथ ने एडीएम, मुख्य वक्ताओं और सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा कार्यशाला की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी प्रदेश में मुख्यतः 25 प्रकार की संभावित प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदाएं चिह्नित की गई हैं। इनमें भूकंप की दृष्टि से हिमाचल प्रदेश बहुत ही संवेदनशील है, क्योंकि इसका अधिकांश भाग भूकंप के सर्वाधिक संवेदनशील जोन-5 व 4 में पड़ता है। पहले दिन के अन्य सत्रों में यूएनडीपी के विशेषज्ञ नवनीत यादव और क्षेत्रीय अनुसंधान संस्थान बजौरा के वैज्ञानिकों ने आपदा प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
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