कुल्लू विधानसभा पर मौजूदा विधायक और राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले नेता
महेश्वर सिंह क्षेत्रीय राजनीति के महारथियों में से एक गिने जाते हैं। 68
वर्षीय सिंह ने 1972 में कुल्लू नगर पालिका का सदस्य बन अपने राजनीतिक
करियर की शुरुआत की थी। जिसके बाद वे जनता पार्टी में शामिल हो गए और जनता
पार्टी के विधायक दल के महासचिव बने। सिंह दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का
पद संभाल चुके हैं और तीन बार भाजपा के बैनर तले सांसद रहे हैं। लेकिन
पार्टी की नीतियों के विरोध के चलते उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया और
अपनी नई पार्टी हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन किया और 2012 में कुल्लू से
विधानसभा सीट पर जीत दर्ज कर भाजपा और कांग्रेस को सकते में डाल दिया।
भाजपा ने अपनी जडें कमजोर होती देख महेश्वर को मनाया और इसका असर भी देखने
को मिला। चुनाव से पहले ही हिमाचल लोकहित पार्टी का भाजपा में विलय हो गया
और अब महेश्वर भाजपा के टिकट से कुल्लू सीट पर बतौर उम्मीदवार मैदान में
उतरे हैं। ये भी पढ़ें - यहां पति-पत्नी 5 दिनों के लिए बन जाते हैं एक दूसरे से अंजान, जानिए क्यों
वहीं, कांग्रेस ने महेश्वर सिंह के खिलाफ सुरेंद्र सिंह
ठाकुर को मैदान में उतारा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुंदर सिंह ठाकुर
दूसरी बार महेश्वर सिंह के खिलाफ चुनाव लडऩे जा रहे हैं। कांग्रेस पिछले एक
दशक से कुल्लू विधानसभा से दूर रही है ऐसे में पार्टी राजपूत बहुल क्षेत्र
में ठाकुर के सहारे अपनी खोई जमीन तलाशने में जुटी है। इसके अलावा
राष्ट्रीय आजाद मंच की उम्मीदवार रेणुका डोगरा और निर्दलीय उम्मीदवार कमल
कांत शर्मा चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। राजपूत बहुल क्षेत्र होने और
राज परिवार का दबदबा होने के कारण कुल्लू विधानसभा सीट वीआईपी सीटों में
शुमार है। एक तरफ जहां राज घराने के दिग्गज नेता हैं तो वहीं दूसरी तरफ
कांग्रेस अपने एक दशक पुराने रिकॉर्ड को सुधारने की कोशिश में है। पहाड़ी
राज्य हिमाचल में 9 नवंबर को मतदान होना है और मतगणना 18 दिसंबर को होगी।
आईएएनएस
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