ज्वालामुखी
। दुर्गाष्टष्मी के पावन अवसर पर आज हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिला के
सुप्रसिद्ध शक्तिपीठ ज्वालामुखी में हजारों की तादाद श्रद्धालुओं ने दर्शन
कर पूजा अर्चना की। कुछ इसी तरह का महौल ब्रजेशवरी धाम कांगडा, चामंडा
नंदिकेशवर व चिंतपुर्णी व नैना देवी मंदिरों में देखने को मिल रहा है।
हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में बड़ी तादाद में पड़ोसी राज्यों से श्रद्धालु
यहां दर्शनों को आ रहे हैं। दुर्गाष्टमी पर मंदिर नगरियां माता के जयकारों
से गूंज रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
धार्मिक श्रद्धा एचं विशवास के साथ सैंकड़ों की
तादाद में लोग मन्दिर में बीती रात से ही दर्शनों के लिये डटे हैं। बीती
रात से ही भीड जुटनी शुरू हो गई थी।
यहां भक्ति भावना से ओत
प्रोत श्रद्धालु माता की महिमा का गुणगान भजन कीर्तन के साथ भी कर रहे हैं।
जिससे पूरा वातावरण भक्ति रस में डूबा है। मन्दिर मार्ग पूरी तरह
श्रद्धालुओं
से खचाखच भरा हुआ है। बड़े सवेरे से ही दर्शनों के लिए
श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है । श्रद्धालुओं की लम्बी कतारें देखी गईं ।
लंबे अंतराल के बाद नगर में रौनक बढऩे से दुकानदारों के चेहरे भी खिले
हैं ।
एसडीएम धनवीर ठाकुर ने
बताया कि प्रशासन मंदिर में दर्शनों के लिए पहुंचने वाले यात्रियों को
कोरोना नियमों की पालना करवाने के लिए पूरी तरह सतर्क है व किसी भी
श्रद्धालु को बिना मास्क के प्रवेश अनुमति नहीं दी जा रही है।
पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से लोग यहां आ रहे हैं।
बुलंदशहर से अपने परिवार के साथ दर्शनों को आये सूरज कुमार ने कहा कि
दुर्गाष्टमी पर दर्शन कर उन्हें सकून मिला है। पंजाब के मोगा के पास
धर्मकोट से आये सतनाम सिंह ने बताया कि वह सुबह से चार घंटों से लाईन में
है, लेकिन उसकी बारी अभी नहीं आई है। जालंधर से अपने परिवार के साथ आयी
मनप्रीत कौर ने कहा कि मंदिर के अंदर जाने के लिये भी जुगाड़ करना पड़ रहा
है। जो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं वह खड़े हैं। सिफारिश वाले आते हैं चले जाते
हैं उन्हें कोई परेशानी नहीं।
मंदिर अधिकारी डी एन यादव ने बताया
कि मंदिर में आने जाने के लिये सुरक्षा कारणों से अलग अलग रास्ते बनाये गये
हैं। व पूरी कोशिश की जा रही है कि कोई भी श्रद्धालु परेशान न हो। मंदिर
की हर गतिविधि का सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से नजर रखी जा रही है।
पंडित प्रबल शास्त्री ने बताया कि नवरात्र के आठवें दिन माँ दुर्गा के
आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होती है। दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम
महागौरी है। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और
कून्द के फूल की गयी है। उनकी आयु आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी
हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर
वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शान्त मुद्रा में है।
पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी।
इन्होंने प्रतिज्ञा की थी कि व्रियेअहं वरदं शम्भुं नान्यं देवं
महेश्वरात्।
गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार इन्होंने शिव के वरण के लिए
कठोर तपस्या का संकल्प लिया था जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था। इनकी
तपस्या से प्रसन्न होकर जब शिव जी ने इनके शरीर को पवित्र गंगाजल से मलकर
धोया तब वह विद्युत के समान अत्यन्त कांतिमान गौर हो गया, तभी से इनका नाम
गौरी पड़ा। देवी महागौरी का ध्यान, स्रोत पाठ और कवच का पाठ करने से
’सोमचक्र’ जाग्रत होता है जिससे संकट से मुक्ति मिलती है और धन, सम्पत्ति
और श्री की वृद्धि होती है। इनका वाहन वृषभ है।
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