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हिमाचल प्रदेश में मंदिर प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग जोर पकड़ने लगी

The demand for formation of temple management board started gaining momentum in Himachal Pradesh - jwalamukhi ji News in Hindi

- विजयेन्दर शर्मा -
ज्वालामुखी। हिमाचल प्रदेश में मंदिरों के प्रबंधन की मौजूदा व्यवस्था में आमूल चूल परिवर्तन लाने को लेकर बहस छिडी है। हिमाचल प्रदेश में भी हिमाचल प्रदेश मंदिर प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग जोर पकड़ने लगी है।
हिमाचल प्रदेश में हिन्दू सार्वजनिक संस्थान एवं पूर्व विन्यास अधिनियम के तहत मंदिरों का सरकार ने अधिग्रहण किया था। जिसका मकसद मंदिरों में व्यवस्था को पारदर्शी बनाना, व्यवस्था में सुधार लाकर श्रद्धालुओं के लिये बेहतर माहौल तैयार करने के अलावा पूजा पाठ में सुधार लाने की बात थी। लेकिन मंदिरों के लिये मौजूदा व्यवस्था दोषपूर्ण बताया जा रहा है। चूंकि मंदिरों में सरकारी दखल बढ़ता जा रहा है।
हिमाचल में मंदिर आज पूजा पाठ नहीं, बल्कि राजनीति के अखाड़ा बनते जा रहे हैं। मंदिरों में विधायकों की मर्जी के प्रबंधन ट्रस्ट बन रहे हैं, ऐसे लोग मनोनीत किये जा रहे हैं। जिनका सार्वजनिक जीवन में दूर तक कोई नाम नहीं है। मंदिरों में विधायकों की मर्जी के बिना कोई पत्ता तक नहीं हिला सकता। मंदिरों के प्रबंधन के लिये बनाये गये ट्रस्ट में शामिल होने वाले लोगों के लिये भी कोई ठोस नीति नहीं है। कि किस आधार पर उनका चयन हो।
हिमाचल प्रदेश के करीब 52 हिन्दू मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं। जिनका प्रबंधन सरकार देखती है। लेकिन अब इसी व्यवस्था का विरोध होने लगा है। सरकार से मंदिर प्रबंधन में सुधार करने की मांग करने लगे हैं। दलील दी जा रही है कि तिरुपति से लेकर वैष्णो देवी तक मंदिरों में बेहतरीन व्यवस्था है। व अब उत्तराखंड के बाद अयोध्या का नया उदाहरण सबके सामने है। हिमाचल प्रदेश में सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों का जिम्मा प्रदेश भाषा विभाग के पास है। लेकिन जिलाधीश के पास इनका नियंत्रण है।
जिलाधीश को मंदिर कमीशनर की जिम्मेवारी अतिरिक्त तौर पर दी गई है। व स्थानीय स्तर पर एसडीएम मंदिर न्यास के चेयरमैन हैं। वहीं मंदिर अधिकारी राजस्व महकमे से डेपुटेशन पर आये तहसीलदार हैं। किसी भी विभाग के पास मंदिरों का नियंत्रण नहीं है। इस त्रिकोणीय व्यवस्था से सुधार नहीं बिगाड़ हो रहा है। किसी भी अधिकारी की सीधे तौर पर कोई जवाबदेही स्पष्ट तौर पर तय नहीं हे। कुछ साल पहले प्रेम कुमार धूमल सरकार ने प्रदेश के मंदिरों में व्यवस्था में सुधार लाने के लिये राणा कश्मीर सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई।
समिति ने कई सुझाव सरकार को दिये। लेकिन उन पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं राणा समिति के बाद रिटायर्ड वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के सी शर्मा की अध्यक्षता में भी एक कमेटी बनी , जिसका भी हश्र राणा समिति जैसा हुआ। प्रदेश में आज हालात यह हैं कि मंदिरों का रखरखाव सालों बाद भी उसी पुराने ढर्रे पर चल रहा है।

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Web Title-The demand for formation of temple management board started gaining momentum in Himachal Pradesh
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