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फेक डिग्रियों पर प्रिंसिपलों को अधिकारियों का नया फरमान, 20 तक दायर करें जवाब

New order from officials to principals on fake degrees, up to 20 to file reply - Hamirpur News in Hindi

जांच का पैमाना होगा क्या? 3 दिन में कैसे जांची जाएंगी डिग्रियां, आदेश कहीं ढकोसला तो नही
हमीरपुर। शिक्षा विभाग में टीचर्स की फर्जी डिग्रियों को जांच कर उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट देने के मामले पर जारी फरमान कहीं ढकोसला साबित तो नहीं हो रहे? विभाग में इन दोनों इसी की चर्चा हो रही है।
क्योंकि शिमला से तमाम डिप्टी डायरेक्टर्स को जो आदेश आए थे। उसकी रिप्लाई समय पर नहीं होने की वजह से अब 17 नवंबर को फिर से रिमाइंडर जारी हो रहे हैं। अब क्योंकि डिप्टी डायरेक्टर्स के पास जिलों से संबंधित सारी जानकारी मुकम्मल तौर पर पहुंच नहीं पाई। इसीलिए एक बार फिर तमाम डिप्टी डायरेक्टर्स ने प्रिंसिपलों को पत्र लिखकर दो दिनों के भीतर जवाब दायर करने का समय दिया है।
प्रोसेसिंग फीस कौन चुकाएगा?
जिनकी डिग्रियों को जांच जाना है उसे सारे प्रक्रिया की फीस आखिर कौन चुकाएगा इस पर भी ऊहापोह की स्थिति स्कूलों में बनी हुई है। क्योंकि जिस टीचर की तमाम डिग्रियों को जांच जाना है। संबंधित यूनिवर्सिटी या शिक्षा बोर्ड को पत्र लिखने के अलावा इसकी प्रोसेसिंग फीस चुकानी है, उसकी भी अलग से समस्या है। प्रिंसिपल किस पैमाने पर काम करें और फिर किस तारीख तक इनका सारा ब्योरा इकट्ठा करना है। इसकी भी अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है। डिग्रियां जांचने का यह सिस्टम इतना आसान नहीं है।
एक माह पहले दिए थे डायरेक्टर ने आदेश;
डायरेक्टर हायर एजुकेशन ने एक महीना पहले प्रदेश के सभी डिप्टी डायरेक्टर्स को आदेश जारी कर संबंधित प्रिंसिपलों को टीचर्स की डिग्रियां जांचने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने की बात कही थी। इसकी सारी रिपोर्ट एक महीने के अंदर मांगी गई थी। लेकिन यह अवधि मुकम्मल हो चुकी है और ज्यादातर का जवाब आया नहीं है। इसीलिए अब फिर से डिप्टी डायरेक्टर्स ने रिमाइंडर भेजें हैं।
सर्विस बुक में गलत एंट्री की कौन करेगा जांच;
दरअसल में जिन टीचर्स ने प्रमोशन लेने के लिए अपने एजुकेशन स्तर को सुधार है। उनका भी अलग से एक लफड़ा है। सूत्रों के मुताबिक सर्विस बुक में अरंडलीव ज्यादातर की दर्ज ही नहीं हो पाई हैं। अरंडलीव बचाने के लिए बहुतों ने कैजुअल लीव लेकर ही काम चला लिया है। जो कि नियमों के खिलाफ है और इस तरह की ज्यादातर टीचर्स की एंट्रीज सर्विस बुक में नहीं हैं। यह घोटाला अलग से है, जिसकी जांच अभी नहीं हो रही है। लेकिन यह सारा मामला भी फेक डिग्रियों से जुड़ा हुआ भले ही ना हो, लेकिन विभागीय कारगुजारी की पोल खोल रहा है। यदि इसकी भी जांच हो जाए तो बड़ा भंडाफोड़ होगा। कई प्रिंसिपल इसके लपेटे में आएंगे। जो संबंधितों के डीडीओ रहे हैं।
डिग्री जांच की राशि संबंधित व्यक्ति को ही चुकानी होगीः
अनिल इधर हायर एजुकेशन के डिप्टी डायरेक्टर अनिल कौशल का कहना है कि 17 नवंबर को सभी प्रिंसिपल्स को फिर से रिमाइंडर पत्र भेजा गया है। ताकि फर्जी डिग्री के मामले में मुकम्मल जानकारी 20 नवंबर तक उपलब्ध हो सके। उनका कहना है कि एक महीना पहले भी इन्हें पत्र लिखे गए थे। लेकिन ज्यादातर की जानकारी नहीं आ पाई है।
जांच करवाने की प्रोसेसिंग फीस संबंधित यूनिवर्सिटीज को स्कूल प्रिंसिपल्स नहीं चुकाएंगे, जिस व्यक्ति की डिग्री की जांच हो रही है, नियमों में ऐसा प्रावधान है कि उसी के खर्चे पर यह सब कुछ होगा। इसमें कोई भी किंतु परंतु नहीं है।

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Web Title-New order from officials to principals on fake degrees, up to 20 to file reply
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