हमीरपुर। राज्यसभा के पूर्व सांसद कृपाल परमार ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा पर जोरदार जुबानी हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पिछले चार-पांच सालों में हिमाचल बीजेपी को मुकम्मल तौर पर खोखला कर दिया गया है। अब इसे जागृत करने में समय लगेगा।
परमार ने जेपी नड्डा द्वारा आरएसएस पर दिए गए बयान पर भी खूब बखिया उधेड़ी है। उन्होंने कहा कि मैं नड्डा को तब से जानता हूं जब वे परिपक्व नहीं थे। मेरा और नड्डा का पिछले चालीस सालों का साथ रहा है। नड्डा के मुंह में आप अपने शब्द डाल नहीं सकते और न उनसे शब्द निकाल सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
परमार यहां मीडिया से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा अध्यक्ष द्वारा दिया गया ब्यान भाजपा के लिए आत्मघाती साबित हुआ है। चुनावों के बीचों-बीच उनका ब्यान देना कुछ समझ नहीं आ रहा है।
आज अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीतिश कुमार और चंद्रबाबु नायडु की बैसाखियों पर खडे हैं, तो उसका एक प्रमुख कारण नड्डा का वो ब्यान है, उसके बाद भी उन्हें केंद्रीय मंत्री क्यों बनाया गया, यह किसी के गले नहीं उतर रहा है।
परमार ने कहा कि आरएसएस को वैचारिक पावर हाउस कहते थे। उसी वैचारिक पावर हाउस के उपर नड्डा ने अटैक किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह गलत है तो भाजपा को मीडिया के समक्ष स्पष्टीकरण देना चाहिए। कहा कि पिछले चार साल में उनके नेतृत्व में प्रदेश भाजपा बैक फुट पर चली गई है। छोटे कद के लोगों को उंचे पदों पर बैठाया गया, जिससे पार्टी को आज यह दिन देखने पड़ रहे हैं और आने वाला समय इससे भी बुरा होगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में ऑपरेशन नड्डा पूरी तरह फेल हुआ है। प्रदेश की जनता ने भी भाजपा को आईना दिखाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निर्दलीयों का त्यागपत्र देना किसी के गले नहीं उतर रहा है। किसके कहने पर उन्होंने इस्तीफे दिए। यह समझ से परे है। क्योंकि कानूनी रूप से वे त्याग पत्र देने के लिए किसी भी प्रकार से बाध्य नहीं थे।
कृपाल ने स्टोन क्रशर के मुद्धे पर कहा कि जब पार्टी विपक्ष में होती है तो खनन के आरोप लगाती है और जब विपक्ष में होती है तो सत्ता में आते ही चुप हो जाती है। खनन को कोई नहीं रोक रहा। उन्होंने कहा कि यह सब पैसे का खेल है। निर्दलियों को त्याग पत्र देने मुद्धे पर कहा कि उनके त्याग पत्र का मुद्धा सारे प्रचार में उठेगा और उनसे जनता द्वारा सवाल पूछेगी, की त्यागपत्र देने की जरूरत क्या थी क्या अब विपक्ष में बैठकर उनके सारे काम हो जाएंगे? क्योंकि सरकार तो बदली नहीं हालत तो वही हैं। जब वे कांग्रेस को समर्थन दे रहे थे तो उनके काम नहीं हो रहे थे, अब जब वे कांग्रेस के विरोध आ गए तो उनके काम कैसे होंगे।
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