धर्मशाला। प्रदेश सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के बच्चों और महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं ताकि उन्हें सुरक्षा, वित्तीय सहायता और सम्मानजनक जीवन जीने के अवसर प्राप्त हो सकें। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अंतर्गत गठित महिला एवं बाल विकास निदेशालय के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वर्तमान सरकार ने बेटी है अनमोल योजना के अन्तर्गत बी.पी.एल परिवार में जन्म लेने वाली बालिका को जन्म पश्चात् दी जाने वाली एकमुश्त अनुदान सहायता राशि को 10,000 रूपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया गया है। गरीब महिलाओं को मदर टेरेसा असहाय मातृ संबल योजना के अन्तर्गत अपने बच्चों के पालन-पोषण के लिए दी जाने वाली सहायता राशि को भी 4000 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये प्रति बच्चा प्रति वर्ष किया गया है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को राज्य बजट से दिए जाने वाल अतिरक्त मानदेय में 300 रुपये प्रति माह की वृद्धि की गई है।
राष्ट्रीय पोषण अभियान के लिए प्रदेश के पांच जिलों- चम्बा, हमीरपुर, शिमला सोलन व ऊना को चयन किया गया है। अभियान के अन्तर्गत प्रारम्भ में उन जिलों का चयन किया गया है जहां कम वज़न, ठिगनेपन, विकास अवरुद्धता और अनीमिया इत्यादि की समस्या अधिक है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मन्त्रालय के निर्देश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में सितम्बर 2018 को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया गया।
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