धर्मशाला। बरसात में कई बीमारियां अपने पांव पसार लेती हैं। आमतौर पर बरसात के मौसम में तेज बुखार से पीड़ित रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इसीलिए लोगों को इस मौसम में फैलने वाली एक बीमारी हैै स्क्रब टाइफस। स्क्रब टाइफस ज्वर खतरनाक जीवाणु रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू) के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों से पनपता है। यह जीवाणु चमड़ी के जरिये शरीर में प्रवेश करता है जिससे स्क्रब टाइफस बुखार होता है। वैसे तो यह इतना खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका उचित इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश गुलेरी बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, जोड़ों में दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, अकड़न या शरीर का थका हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टाइफस के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केन्द्र में जांच करवा लेनी चाहिए।
डॉ. गुलेरी का कहना है कि बरसात के दिनों में जंगली पौधे खुद व खुद उगने लगते हैं इसीलिए घर के आस-पास घास या झाड़ियां न उगने दें तथा समय-समय पर सफाई करते रहें। शरीर को स्वच्छ रखें और हमेशा साफ कपड़े पहने। आसपास जलजमाव बिल्कुल न होने दें। घर के अन्दर और आसपास कीटनाशक दवाओं का छिड़काव अवश्य करें। खेतों में काम करते समय अपने हाथ पैरों को अच्छे से ढक कर रखें। जिन इलाकों में पिस्सु अधिक पाए जाते हों, वहां के लोगों को त्वचा व कपड़ों पर कीट भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का प्रयोग करना चाहिए। अगर 2-3 दिन से अधिक समय तक बुखार हो तो तुरन्त चिकित्सक से मिलें और रक्त जांच जरूर करा लें।
डॉ. गुलेरी बताते हैं कि बरसात के मौसम में इस बीमारी के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। समय पर डॉक्टर को दिखाने पर इसका आसानी से इलाज संभव है। यह रोग एक आदमी से दूसरे को नहीं फैलता है। स्क्रब टायफस का ज्यादा प्रकोप जुलाई से अक्तूबर महीने तक रहता है। इस मौसम में अधिकतर लोग खेतों और घासनियों में घास काटते हैं। इस कारण पिस्सू उन्हें काट लेेता है, जिसे लोग गंभीरता से नहीं लेते हैं।
उपायुक्त कांगड़ा राकेश कुमार प्रजापति का कहना है कि लोगों को स्क्रब टाइफस और अन्य जीवाणु तथा वायरस जनित रोगों से बचाव को लेकर शिक्षित एवं जागरूक करने पर बल दिया जा रहा है। उन्होंने इस लोकोन्मुखी प्रयास में सभी से सक्रिय भागीदारी तथा इन रोगों से बचाव के लिए एहतियात बरतने का आग्रह किया है।
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