धर्मशाला। हिमाचल कला संस्कृति भाषा अकादमी ने साहित्यकार कलाकार प्रलेखन योजना के अंतर्गत शुक्रवार को धर्मशाला में केन्द्रीय विश्वविद्यालय में साहित्य संगोष्ठी एवं लेखक संवाद व साक्षात्कार कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के प्रख्यात लेखक एवं लोक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान प्रो. वेद प्रकाश अग्नि का डाक्यूमेंटेशन किया गया। इस मौके पर वेद प्रकाश अग्नि ने हिमाचल प्रदेश लोक साहित्य पर आधारित अपने व्याख्यान में हिमाचली परंपरा में सिद्ध एवं नाथ परंपरा, इतिहास तथा लोक मान्यताओं पर प्रकाश डाला। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने सिद्ध और नाथ परंपरा पर शोध कार्य किए जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लोक साहित्य में देव परंपरा का विशेष् महत्व है। हिमाचल लोक मानस में, पारंपरिक लोक गीतों, गाथाओं, सामाजिक धार्मिक रीति-रिवाज़ों, लोक आस्थाओं, देव गाथाओं, लोक संगीत, संस्कार गीतों में देवी-देवताओं के इतिहास, उनकी उत्पत्ति तथा देव संस्कृति से संबन्धित अनेक धारणाएं प्रचलित हैं जिनके अध्ययन से सिद्ध तथा नाथ परंपरा को समझा जा सकता है।
अग्नि ने कहा कि गुरू गोरखनाथ, भतृहरी, बाबा बालक नाथ की मान्यता आज भी लोक साहित्य में विशेष स्थान रखती है। सिद्ध चानो के प्रति लोक आस्था एक संत परंपरा को समेटे हुए है। डॉ. ओम प्रकाश शर्मा ने प्रो. वेद प्रकाश अग्नि के जीवनवृत, कृतित्व तथा उनके साहित्यिक योगदान पर परिचर्चा करते हुए उनसे संवाद किया। कार्यक्रम में डॉ. इन्द्र ठाकुर, चेतराम, डॉ. विवेक शर्मा, डॉ. भाग सिंह चौहान, विजय मोहन पुरी, भूमिदत्त शर्मा, डॉ. चंद्र, डॉ. आशा भंडारी ने भाग लिया।
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