नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 बादशाहत, वर्चस्व और अपने क्षेत्र में कायम दबदबे के लिए जाना जाएगा। इस चुनाव में कई ऐसा नेता हैं जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत विधानसभा सीट से बतौर निर्दलीय के रूप में की और जीत हासिल कर मुख्यधारा में शामिल हुए और लोगों के दिलों में घर कर गए। हिमाचल प्रदेश की करसोग विधानसभा सीट को ऐसी ही श्रेणियों में गिना जाता है। हिमाचल प्रदेश की करसोग विधानसभा सीट संख्या-26 (अनुसूचित जाति) के लिए आरक्षित है। लेकसभा क्षेत्र मंडी और जिला मंडी की करसोग विधानसभा में 2012 चुनाव के वक्त 60,076 मतादाता थे। इस क्षेत्र की कुल जनसंख्या 2012 तक 95,000 के आसपास थी। करसोग को हिमाचल की ‘रहस्य और मंदिरों की घाटी’ कहा जाता है। लोगों की ऐसी धारणा है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहीं पर समय व्यतीत किया था। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सीट आरक्षित होने के कारण यहां एक समुदाय के लोगों का क्षेत्र की राजनीति पर खासा प्रभाव है। पिछले चुनावों के नतीजों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि करसोग की जनता के दिल में पार्टी का चिह्न बाद में अपनी पसंद पहले आती है। बात करें क्षेत्र की राजनीति की तो 1967 में बतौर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरें मनसा राम ने अपने काम और लोगों के बीच ऐसी छाप छोड़ी की जनता ने एक बार नहीं बल्कि पांच बार इस क्षेत्र से उन्हें विधायक चुना। मनसा राम पहला चुनाव जीतने के बाद दूसरी बार कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़े और जीते भी लेकिन शायद जनता को यह साथ पसंद नहीं आया और तीसरे चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
मनसा राम ने चौथी बार फिर निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। इसके बाद 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस और 2012 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लडक़र मनसा राम इस क्षेत्र से विधायक चुने गए। मनसा राम ने 2017 विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया है। मनसा राम, वीरभद्र सिंह के बाद अकेले ऐसे कांग्रेसी नेता हैं जिन्होंने क्षेत्रीय राजनीति पर अपना दबदबा कायम किया है। वहीं बात करें विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तो पार्टी ने 2007 में निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में मनसा राम को हराकर सीट हासिल करने वाले हीरा लाल को अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हीरा लाल ने 2007 में मनसा राम के विजयरथ पर लगाम लगाई थी लेकिन जनता ने अगले चुनाव में फिर से मनसा राम को कमान सौंप दी।
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