धर्मशाला। प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए ढांचागत विकास, सड़क कनेक्टिविटी, आवासीय सुविधाओं आदि पर बल दिया जा रहा है। राज्य सरकार पर्यटन गतिविधियों में विविधता लाने, अनछुए और दूरदराज के पर्यटन स्थलों के दोहन पर विशेष ध्यान दे रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य सरकार ने नए क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटन से जुड़े बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए ‘नई राहें नई मंजिलें’ नाम की एक नई योजना शुरू की है। चूंकि पर्यटन हिमाचल की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा है। इसलिए यह योजना राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सही दिशाओं में एक बड़ा प्रयास होगा। इस योजना के लिए वर्ष 2018-19 में 50 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान किया गया है। इस योजना से ग्रामीण इलाकों में नए और अनछुए पर्यटन स्थलों को पहचान मिलेगी।
बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करवाने पर मुख्य रूप से जोर दिया जा रहा है। पार्क, पैदल मार्ग, ट्रेकर्स होस्टल, शौचालयों, मंदिरों का सौंदर्यीकरण, सड़कों की चौड़ाई, वर्षा शालिकाओं, सरायों, सड़क संकेत और यातायात के दिशा-निर्देशों, सड़क मार्ग पार्किंग, ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन, सामुदायिक हॉल, प्रकाश और कचरा प्रबंधन जैसी सुविधाएं नए परिभाषित पर्यटन सर्किट में विकसित की जा रही हैं। स्थानीय लजीज व्यंजनों, लोक कलाकारों, स्थानीय कारीगरों, संस्कृति, स्थानीय वेश-भूषा, टूर गाइडों, पर्यावरण गाइडों, एडवेंचर गाइड़ों को प्रोत्साहित कर रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा करने पर भी बल दिया जा रहा है।
योजना का उद्देश्य विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में पर्यटन में विविधता और नए स्थानों पर बुनियादी ढांचे के विकास, ग्रामीण पर्यटन, रोजगार और आजीविका के अवसरों के प्रचार और उसके बाद नए स्थानों के प्रचार व प्रसार को बढ़ावा देना है। इन नए पहलुओं के तहत मण्डी जिले के जंजैहली, कांगड़ा जिले के बीड़ बिलिंग और जिला शिमला के चांशल को शामिल किया गया है।
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