उन्होंने कहा कि शिक्षा ग्रहण करने की न कोई सीमा है न ही कोई
शिक्षा से परिपूर्ण है, शिक्षा ग्रहण करने का अथाह क्षेत्र है, इसलिये
मनुष्य जीवन से लेकर मृत्यु तक शिक्षा का पाठ पढ़ता है। उन्होंने कहा कि
प्रतिस्पद्र्धा के युग में कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है। उन्होंने
शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों का आह्वान किया कि वे बच्चों को गुणात्मक,
व्यवसायीक तथा सुसंस्कारयुक्त शिक्षा देने का प्राथकिता के आधार पर अपना
दायित्व निभाएं।
उन्होंने कहा कि रविवार को दिन छात्रों और
अविभावकों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योकि इस दिन बच्चों की पूरे साल की
पढ़ाई के साथ साथ बाकी गतिविधियों में किये गए परिश्रम का लेखा जोखा सब के
सामने प्रस्तुत किया जाता है। इस से बच्चों में प्रतिस्पर्धा की भावना
बढ़ती है। छात्रों से कहा कि जीवन में सफलता के लिए अनुशासन बहुत जरूरी है।
अनुशासन ही सफलता की कुंजी है इस लिए अनुशासन में रहते हुये दृढ़ संकल्प
के साथ कड़ी मेहनत करें। उन्होने विद्यार्थियों से कहा कि विद्या सुख से
नहीं मिलती है। आत्मिक शक्ति और दृढ़ निश्चय जीवन की सफलता के लिये जरूरी
है।
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