ग्रामीणों की जमीनों पर कंपनी का कब्जा होने की खबर का पता तब चला जब कुछ ग्रामीण जरूरत पडऩे पर इसके पर्चे लेकर लोन मांगने बैंक में गए। जब बैंक ने उनकी जमीन के कागज देखे तो यह कहते हुए लोन देने से मानना कर दिया कि उनकी जमीन के पर्चों पर राजस्व विभाग का नोट लिखा गया है कि इसे गिरवी रखकर जीएमआर कंपनी ने 1405 करोड़ रुपये का लोन ले रखा है। न्याग्रां से लेकर होली तक इस कंपनी की सुरंग के बीच व ऊपर जितने भी गांव आ रहे थे, वहां के सभी ग्रामीणों की जमीनों पर यह कंपनी अपना कब्जा जमाकर इसके बदले अरबों का लोन ले चुकी थी। आग की तरह फैली इस बात को लेकर होली में तनाब की स्थिति पैदा हो गई है।
मामला बेहद संवेदनशील है जिसके चलते भरमौर मंडल प्रशासन ने करीब 13/महलों के राजस्व रिकाॅर्ड अपने कार्यालय भरमौर तलब कर लिए है और जांच प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। 180 मेगावाट की होली बिजोली परियोजना जिसमे अरबों रुपयों का निवेश कर इस परियोजना को तैयार करना है। अगर इस परियोजना में किसी भी प्रकार की राजस्व विभाग के रिकार्ड से जरा सी भी छेड़छाड़ का मामला प्रशासन के समक्ष आता है तो इसमें कम्पनी और उसके साथ कई लोग इस लपेटे में आ सकते है।
बरहाल 40 वर्षो तक लीज में ली गई सरकारी जमीन जिसमे कितनी भूमि सरकारी और कितनी भूमि गैर सरकारी थी जिस पर इन कम्पनी वालों ने लोन ले रखा था। मंगवाए गए अगर यह उपरोक्त दस्तावेज सही मायनो में कंही भी जरा से भी गलत पाये जाते है तो कम्पनी वालों को बैंक में झूठे दस्तावेज देने का फ्रॉड भी बन सकता है। अब देखने वाली बात यह भी है कि ADM भरमौर ने इस जनजातीय क्षेत्र होली के 10 मुहाल के सारे के सारे राजस्व रिकाॅर्ड को लगभग खंगालना शुरू कर दिया है और उन्हें अभी भी दो अन्य मुहालो के राजस्वी दस्तावेजों का इंतजार है जोकि वह आज उनके ADM कार्यालय भरमौर पहुंच जाएंगे। उसके बाद क्या होता है, देखना कुछ दिलचस्प होगा।
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