चंबा। जिले के जनजातीय क्षेत्र भरमौर की उपतहसील होली में बडी पनविद्युत परियोजना के निर्माण में लगी जीएमआर कंपनी ने बड़ी मिलीभगत करके स्थानीय लोगों की जमीन अपने नाम करवाकर इस पर 1405 करोड रुपये का लोन लिया है। जब इस बात का पता जमीन मालिकों को चला तो उनके होश उड गए। उन्होंने एक-एक करके जब पटवारखाने से अपनी जमीन के पर्चे निकाले तो यह जमीन कंपनी के नाम हो चुकी थी और कंपनी ने इस जमीन को गिरवी रखकर अरबों रुपये का लोन ले लिया था। हैरानी की बात है कि इस जमीन का मुआवजा तक इसके मालिकों को नहीं मिल पाया है। सूत्रों की माने तो इस बड़े घपले में स्थानीय राजनेताओं और अफसरों की बड़ी मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है।
ज्ञात रहे कि यह प्रोजेक्ट निर्माण के समय से ही सुर्खियों में रहा है। पहले कंपनी ने सरकार की मिलीभगत से इसकी सुरंग की निर्माण साइट को ही आबादी वाले स्थान में बदल लिया था। ग्रामीणों ने इसका भारी विरोध किया था और कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया था, मगर मिलीभगत के चलते वे केस हार गए थे। अब ताजा मामले ने एक बार फिर से पैसे व रूतबे के दम पर पहाड़ों को छलनी करने वाली बडी-बडी कंपनियों की यहां बसने वाले लोगों को बेघर व बे जमीन करके मोटा मुनाफा कमाने की गलाकाट नीति का पर्दाफाश करके रख दिया है। इसमें स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ ही सत्ता पक्ष के प्रभावशाली नेताओं और इनके दबाव में आंखें मूंदे बैठे अधिकारियों की बड़ी मिलीभगत की बातें सामने आ रही हैं।
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