यमुनानगर। जल संसाधन, गंगा जीर्णोद्वार, सडक़
परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडक़री ने कहा कि सरस्वती नदी के
उदगम स्थल आदिबद्री (यमुनानगर) में एक डैम बना कर पानी को रोका जाएगा, इससे
जहां इस क्षेत्र का भू-जल रिचार्ज होगा वहीं पर्यटन को भी बढावा मिलेगा।
इसके अलावा, कालाअम्ब से कलेसर तक सडक़ मार्ग को ठीक करके इस सर्किट को
पर्यटन के लिए विकसित किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
गडक़री आदिबद्री में अन्तर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव यात्रा को झण्डी
दिखाकर रवाना करने के बाद बतौर मुख्यातिथि जनसभा को सम्बोधित कर रहे
थे।
उन्होंने आदिबद्री को ऐतिहासिक एवं
धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आदिबद्री स्थल को विश्व
स्तर का पर्यटन स्थल विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार की ओर से धन की कोई
कमी नही रहने दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सरस्वती नदी के तट पर ही ऋगवेद की
रचना की गई थी, इसलिए वेदों में भी सरस्वती का वर्णन है। उन्होंने
इतिहासकार डॉ. वाकनकर तथा मोरोपंत का इस स्थल से गहरा सम्बंध बताते हुए कहा
कि जब वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छात्र थे तो इन दोनो इतिहासकारों
ने सरस्वती नदी के उदगम स्थल की जानकारी दी थी, आज केन्द्र व हरियाणा सरकार
द्वारा आदिबद्री को विकसित किए जाने की दिशा में किए गए कार्य से इन दोनो
इतिहासकारों को सच्ची श्रद्धांजलि होंगी।
उन्होंने
कहा कि आईआईटी, इसरो तथा पुरातत्व विभाग ने भी इस क्षेत्र में सरस्वती नदी
बहने की पुष्टि की है। ऐसे में नई पीढ़ी को हमारी संस्कृति एवं इतिहास के
बारे में जानकारी देना हम सब का कृतव्य है। उन्होंने इस क्षेत्र में डैम
बनाए जाने के वक्त प्रभावित हिमाचल व हरियाणा के निवासियों की हर
सुख-सुविधा का ध्यान रखने का आश्वासन दिया और कहा कि लोगों के पुनर्वास का
जहां प्रबंध किया जाएगा वहंीं प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।
अन्तर्राष्ट्रीय
सरस्वती महोत्सव के शुभारम्भ अवसर पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते
हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आदिबद्री स्थल पर आदिबद्री
नारायण मङ्क्षदर से केदारनाथ मङ्क्षदर के बीच के पुल को बड़ा बनाने की
घोषणा की। उन्होंने कहा कि डैम के क्षेत्र में आने वाले 88 एकड़ क्षेत्र
में गांव भेड़ो व मन्त्रा के निवासियों के पुनर्वास की उचित व्यवस्था की
जाएगी। उन्होंने कहा कि इस डैम की रिपोर्ट तैयार हो गई है और इसे केन्द्र
सरकार के पास शीघ्र ही भेज देंगे। उन्होंने आदिबद्री क्षेत्र के लोगों के
साथ अपना पुराना संबंध जोड़ते हुए कहा कि जब वे 32 साल पहले इस क्षेत्र
में संघ के जिला प्रचारक के तौर पर सेवा कर रहे थे, तो उस समय इतिहासकार
डॉ. वाकनकर ने इस तीर्थ स्थल के बारे में उनको बताया था। उन्होंने कहा कि
तब से ही उनके मन में इस क्षेत्र को विकसित करने का विचार चल रहा था। वर्ष
2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद सरस्वती नदी के विकास के लिए हरियाणा
सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया गया ताकि सरस्वती नदी को धरातल पर
बहाने के लिए योजना बनाई जा सके। उन्होंने कहा कि शिवालिक क्षेत्र की रेंज
में आने वाली विभिन्न नदियों पर बांध बनाकर पानी को रोका जाएगा और उसके बाद
वह सारा पानी सरस्वती नदी में छोड़ा जाएगा ताकि भूजल रिजार्च हो सके और
लोगों के पीने तथा खेतों में सिंचाई के लिए यह पानी काम आ सके। उन्होंने
बताया कि ओएनजीसी कम्पनी से इस बारे में एमओयू भी हुआ है जो कि पम्प लगाकर
पानी को सरस्वती नदी में डाला जाएगा। मुख्यमंत्री ने दादूपुर नलवी पर
बोलते हुए कहा कि सोमनदी, भोली नदी व पथराला आदि नदियां इस क्षेत्र में बाढ
का कारण बनती है। इसलिए इन नदियों का पानी डैम बनाकर रोका जाएगा जिससे
दो-तीन जिलों में पानी की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा। उन्होंने कालका
से कलेसर तक पर्यटन सर्किट विकसिक करने की प्रतिबद्वता व्यक्त की।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि सरस्वती नदी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हरियाणा
सरकार द्वारा पिहोवा में पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सरस्वती महोत्सव
आयोजित किया जा रहा है इसके लिए आज आदिबद्री से सरस्वती महोत्सव यात्रा का
शुरू की गई है। यह यात्रा 22 जनवरी को पिहोवा में सम्पन्न होगी।
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