रोहतक/चंडीगढ़। किसान फसलों के विविधिकरण को अपनाकर अपनी आय में बढ़ोतरी कर सकते हैं। आज केवल परंपरागत खेती फायदे का सौदा नहीं रही है। अनाज के साथ सब्जी, फल-फूल आदि से अच्छी आमदनी की जा सकती है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति केपी सिंह रोहतक में आयोजित तृतीय कृषि नेतृत्व शिखर सम्मलेन के दूसरे दिन एक सेमिनार में किसानों से रूबरू हो रहे थे। हरियाणा के किसान कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ की पहल पर 2015 में शुरू हुए इस सम्मेलन के माध्यम से प्रदेश के हजारों किसान हर रोज सेमिनार में भाग ले रहे हैं और हर रोज अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं।
रविवार को किसानों की आय दोगुनी करने के विषय को लेकर इस सेमिनार का आयोजन किया गया था। अपने संबोधन में कुलपति ने कहा कि आज खेती बहुत अधिक बदल गई है। अब परंपरागत खेती से अच्छी आमदनी नहीं होती है। किसानों को भी अब खेती के तरीकों के साथ-साथ फसलों को भी बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फसलों के विविधिकरण के साथ जैविक खेती में भविष्य छिपा है। हो सकता है भविष्य में केवल जैविक उत्पादों की ही ब्रिकी हो और दूसरे उत्पाद लेने वाला कोई मिले ही ना।
उन्होंने कहा कि हम अब जैविक खेती को भूलते जा रहे हैं और हानिकारक दवाइयों व यूरिया का अंधाधुध प्रयोग करने लगे हैं। अब हर उत्पादन में यूरिया की भरमार है। उन्होंने कहा कि यह चिंतन का विषय है कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या देने जा रहे हैं। अगर ऐसे ही हानिकारक वस्तुओं को प्रयोग होता रहा तो उनको न तो अच्छी जमीन मिलेगी और न ही अच्छा स्वास्थ्य। उन्होंने कहा कि आज गांव में कैंसर के मरीज मिल रहे हैं। पहले बहुत कम सुनने को मिलता था कि किसी गांव में किसी व्यक्ति को कैंसर हुआ हो।
सेमिनार में डॉ. बीके बतरा ने कहा कि फसलों के विविधिकरण से जमीन की उर्वरा शक्ति को वापस लाया जा सकता है। उन्होंने सभी किसानों को पर्यावरण के प्रति सजग रहने की अपील करते हुए कहा कि स्वच्छ वातावरण में ही मनुष्य स्वच्छ रहता है और वातावरण स्वच्छ रखने में किसान सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान को अब जागरूक होकर फसलों के अवशेषों को जलाने से परहेज करना होगा और इसे अपनी आमदन का साधन बनाना होगा। अवशेष जलाने से जमीन की उर्वरा शक्ति नष्ट होती है और साथ ही फसल को भी नुकसान होता है। अवशेष से खाद बनाई जा सकती है। वर्मी कम्पोस्ट खाद में इसका प्रयोग हो सकता है। किसानों को नए नए तरीकों को अपनाकर अपने उत्पादन के साथ जैविक खेती की ओर बढ़ना चाहिए।
डॉ. केके कुंढु ने कहा कि हरियाणा में फसली उत्पादों की मार्केटिंग नहीं है, जिसके कारण किसानों को अपने उत्पादों का सही मूल्य नहीं मिल पाता है। हमारे पास एनसीआर का अच्छा क्षेत्र है, जिसका हरियाणा के किसानों को बहुत अधिक फायदा हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज फूड बाजार बहुत बड़ा हो चुका है। लगभग 30 लाख करोड़ का बाजार है और इससे लगभग 90 लाख लोगों को रोजगार मिलने वाला है। उन्होंने कहा कि हमारे किसानों को इस बाजार का लाभ उठाना चाहिए। अपने उत्पादों की अच्छी मार्केटिंग करें और स्वयं अपने उत्पादों को बेचें।
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