रोहतक।
हरियाणा की खट्टर सरकार ने अपनी सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार करने
में जमकर कर पैसा खर्च किया है। मीडिया संस्थानों और समाचार पत्रों को दो
साल में 20 अक्तूबर 2014 से 4 जनवरी 2017 तक मनोहर सरकार द्वारा विज्ञापनों
पर 1 अरब 90 करोड़ रुपए का खर्च किया है। हरियाणा सूचना अधिकार मंच के
राज्य संयोजक सुभाष की आरटीआई से यह जानकारी सामने आई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आरटीआई
में मिली जानकारी के मुताबिक, मनोहर सरकार ने प्रिंट मीडिया पर लगभग पौने
दो अरब (1,72,77,01,134.81) रुपये दिए। वहीं इलैक्ट्रानिक मीडिया को
11,49,56,001 करोड़ रूपए विज्ञापन के रूप में दिए गए। इतना ही नहीं,
विभिन्न योजनाओं के प्रचार के लिए मनोहर सरकार ने 5 करोड़, 45 लाख 60 हजार
862 रुपए फ्लैक्स आदि पर खर्च किए।
सुभाष की माने तो प्रदेश सरकार
द्वारा जारी विज्ञापनों के सम्बंध में जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा
से 6 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। लेकिन उन्होंने सूचना देने की बजाय
सूचना आवेदन को वापिस लौटा दिया। इसके बाद 4 जनवरी 2017 सूचना आवेदन को
मुख्य सचिव कार्यालय के राज्य जन सूचना अधिकारी को भेज कर सूचना उलपब्ध
करवाने का आग्रह किया गया। मुख्य सचिव कार्यालय ने 13 जनवरी 2017 को सूचना
आवेदन को जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा को भेज कर सूचना उपलब्ध करवाने
को कहा। कई माह तक सूचना आवेदन जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, हरियाणा में यह
आवेदन एक दूसरी ब्रांच में घूमता रहा। आखिरकार कुछ जानकारी 6-4-2017 को
भेजी और कुछ जानकारी 2-5-2017 को भेजी गई। आर.टी.आई कार्यकर्ता सुभाष ने
बताया कि 6-4-2017 को प्रदर्शनी अधिकारी सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग,
हरियाणा द्वारा ने जो जानकारी दी उसमें बताया गया कि फ्लैक्स आदि बनवाने
में किसी आऊटसोर्सिंग एजेंसी की मदद नहीं ली गई। इसी विभाग के कला कार्यपाल
द्वारा आवेदक को 2-5-2017 को भेजी जानकारी के अनुसार विभाग के पैनल पर रखी
गई एजेंसियों से एल-1 रेट पर कार्य करवाया गया। सुभाष ने कहा कि इससे
साबित होता है कि विभाग में आपसी तालमेल की कमी है।
चौहान का कहना
है कि अगर राज्य सरकार द्वारा पिछले दो सालों में जन हितेषी काम करवाये
गये हैं तो फिर प्रचार पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने की जरूरत ही नहीं थी।
लगभग 2 अरब रूपए राज्य सरकार ने विज्ञापनों पर ही खर्च कर दिये। इतने पैसे
से तो लड़कियों के अनेकों स्कूलों को अपग्रेड किया जा सकता था। इन स्कूलों
में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा सकती थी। शहरों और कस्बों में महिलाओं
के लिए सैंकड़ों सार्वजनिक शौचालयों का निर्माण किया जा सकता है।
6 बिन्दुओं पर विभाग से मांगी गई थी जानकारी :-
1.
राज्य सरकार द्वारा 20 अक्तूबर, 2014 से 4 जनवरी, 2017 तक की अवधि में
राज्य सरकार द्वारा कुल कितने रुपये के विज्ञापन जारी किए गए? बताया जाए।
2. उपरोक्त अवधि में इलैक्ट्रानिक मीडिया एवं प्रिंट मीटिया को कुल कितने रुपये के विज्ञापन जारी किये गये, माहवार विवरण दिया जाए।
3. दीवार लेखन और फ्लैक्स आदि पर उपरोक्त अवधि में कुल कितना खर्च किया गया? कुल खर्च का विवरण दिया जाए।
क)यह खर्च राज्य सरकार के किस विभाग द्वारा किया गया? विवरण दिया जाए।
ख)यदि इस काम में आऊटसोर्सिंग एजेंसी की मदद ली गई है तो एजेंसी/एजेंसियों का नाम एवं किये गये कुल भुगतान का विवरण दिया जाए।
4.
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के विज्ञापन लोक सम्पर्क विभाग, हरियाणा
द्वारा जारी किये जाते हैं या विभाग द्वारा? विवरण दिया जाए।
5. कुल कितने रुपये के विज्ञापन राज्य सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों/विभागों द्वारा स्वतंत्र रूप से जारी किए गए?
6. मंत्रालय/विभाग सीधे विज्ञापन जारी कर सकते हैं या नहीं? इस सम्बन्ध में नियमों की प्रति दी जाए।
क)मंत्रालय/विभाग
द्वारा जो विज्ञापन सीधे जारी किए जाते हैं वे किस नियम के तहत जारी किये
जाते हैं या हर मंत्रालय/विभाग के अपने नियम हैं, विवरण दिया जाए।
बिना प्रचार के योजनाओं की जानकारी नहीं मिलती
वही
भाजपा के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन का कहना हैं कि प्रदेश सरकार द्वारा
विज्ञापनों पर खर्च किए लगभग 150 करोड़ रूपए पर जवाब देते हुए कहा कि बिना
विज्ञापनों के सरकार की योजनाएं जनता तक नही पहुंच सकती, ओर सरकारों की
अपेक्षा प्रदेश की भाजपा सरकार ने बहुत कम खर्च किया है।वही दिल्ली सरकार
के मुकाबले हमारा बजट बहुत कम है
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