पंचकूला। व्यापारी प्रतिनिधियों की एक अावश्यक मींटिग हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल
के प्रान्तीय अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव
बजरंग दास गर्ग कि अध्यक्षता में सेक्टर 21 में हुई। इस मींटिग में
व्यापारी व उद्योगपतियों की समस्याओं पर विचार व प्रदेश में दिन प्रति दिन
पिछड़ रहा व्यापार व उद्योग व प्रदेश भर में बिगड़ रही कानून व्यवस्था पर
चिन्ता प्रकट की। व्यापार मंडल के प्रान्तीय अध्यक्ष बजरंग दास गर्ग ने
व्यापारी प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हरियाणा में कानून
व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा में कानून व्यवस्था की स्थिति
बिहार व यूपी से भी खराब हो चुकी है। प्रदेश में हर रोज व्यापारी,
उद्योगपति व आम जनता से लूटपाट, चोरी, हत्या, फिरौती के अलावा बच्चियों व
महिलाओं के साथ रेप की वारदात हो रही है। आज बच्चे स्कूल में जाते हुए भी
डरते हैं। यहां तक केन्द्रीय क्राइम ब्यूरो ने हरियाणा को अपराध के मामले
में अव्वल नम्बर बताया है। यह हरियाणा सरकार के लिए बड़ी शर्म की बात है।
जिस प्रदेश में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई हो, उस राज्य में
व्यापार व उद्योग को कैसे बढ़ावा मिल सकता है। राष्ट्रीय महासचिव बजरंग दास
गर्ग ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद देश व प्रदेश में पहले ही व्यपार व
उद्योग काफी प्रभावित हुआ है, प्रभावित होने का मुख्य कारण कपड़ा, चीनी,
खाद, खेती में उपयोग आने वाली दवाई आदि काफी वस्तुओं पर टैक्स नहीं था, उस
पर जीएसटी लगा दिया। जिन वस्तुओं पर टैक्स 5 व 12.5 प्रतिशत था, उन वस्तुओं
पर 18 व 28 प्रतिशत टैक्स लगा दिया, जो व्यापारी एक टैक्स रिर्टन तीन
महीने में भरता था, उसे एक महीने में तीन रिर्टन भरने का जटिल कानून बना
दिया गया। जबकि वकील, सी.ए. व अकाउन्टेंट को जीएसटी रिर्टन भरने में काफी
दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, तो आम व्यापारी व उद्योगपति अपना
व्यापार कैसे ठीक ढंग से कर सकता है।
राष्ट्रीय महासचिव बजरंग दास गर्ग ने
कहा कि केन्द्रीय वित्तमन्त्री अरूण जेटली का यह बयान देना कि पेट्रोल व
डीजल को जीएसटी के दायरे में लाएंगे व जो आम उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर
28 प्रतिशत टैक्स है, उसे खत्म किया जाएगा। जब वित्तमन्त्री खुद मान रहे
हैं कि जीएसटी में टैक्स की दरें ज्यादा है तो केन्द्र सरकार को तुरन्त
प्रभाव से पेट्रोल व डीजल पर टैक्स कम करके उसे जीएसटी के दायरे में लाया
जाए व आम उपयोग में आने वाली वस्तुओं पर ज्यादा से ज्यादा 15 प्रतिशत तक
टैक्स होना चाहिए व जो पहले टैक्स फ्री वस्तुएं थी, उसे टैक्स फ्री रखा
जाएं। जीएसटी कानून प्रणाली को सरल बनाया जाए और व्यापारी जो तीन महीने में
पहले एक रिर्टन भरता था, उसी प्रकार पहले की तरह रिर्टन भरने की सुविधा दी
जाए ताकि देश का व्यापारी ठीक ढंग से अपना व्यापार कर सके।
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