चंडीगढ़। अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे अंशुल छत्रपति का कहना है कि बाबा राम रहीम को कम से कम उम्र कैद की मिलनी चाहिए थी। अदालत के फैसले के बाद ढोंगी संत कानून के कब्जे में आया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अंशुल अपने पिता रामचन्द्र छत्रपति को न्याय दिलाने के लिए 15 साल से संघर्ष कर रहे है। रामचन्द्र ही वहीं पत्रकार है जिन्होंने सबसे पहले अपने अखबार में राम रहीम के खिलाफ डेरे की साध्यवियों से बलात्कार करने की खबरें छापी थी। इसके बाद रामचन्द्र की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि बाबा ने यह हत्या कराई है। अंशुल ने बताया कि इस फैसले के बाद उन्हें भी न्याय मिलने की उम्मीद जगी है। इस मामले की सुनवाई अब 16 सितंबर को है। दलील और बहस खत्म होने के बाद उनका भी फैसला आएगा। अंशुल का कहना है कि लगातार सरकारें डेरे को प्रोटेक्ट कर रही थी जिससे लोगों के मन में शंका पैदा हो रही थी। अब फैसले से लगने लगा है उनकी लड़ाई भी अब सफल होगी।
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