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हरियाणा के पास प्राकृतिक स्त्रोत नहीं, पानी हमें भविष्य के लिए सहेजना होगाः मनोहर लाल

Haryana does not have natural resources, we have to save water for the future: Manohar Lal - Panchkula News in Hindi

पंचकूला। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आह्वान किया कि आज के समय में पानी की उपलब्धता, मांग और पूर्ति हेतु जल संरक्षण, वर्षा जल संचयन सहित पानी के समुचित उपयोग की ओर ध्यान देने की जरूरत है। हम सभी का दायित्व बनता है कि जिस प्रकार हमें विरासत में हमारे पूर्वजों ने पानी दिया है, उसी प्रकार हम भी आने वाले पीढ़ियों को विरासत में जल दें। इसके लिए पानी बचाना ही एकमात्र उपाय है। यह जन भागीदारी के बिना सफल नहीं हो सकता। इसलिए सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी इसमें सहयोग करना होगा।
मुख्यमंत्री मंगलवार को पंचकूला में हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण द्वारा आयोजित 2 दिवसीय जल संगोष्ठी - अमृत जल क्रांति के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयोग से यह संगोष्ठी उस समय हो रही है, जब किसानों के मसीहा और उनकी चिंता करने वाले पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रकाश सिंह बादल हमारे बीच नहीं रहे। वे सदैव किसानों की बात करते थे। पिछले वर्ष जब मैं उनसे मिलने अस्पताल गया था, उस समय भी उन्होंने मुझसे किसानों का ध्यान रखने की बात कही थी। ऐसे व्यक्तित्व को श्रद्धांजलि देते हुए यह जल संगोष्ठी उन्हें समर्पित है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा के पास प्राकृतिक रूप से कोई पानी का स्त्रोत नहीं, पानी का संग्रहण कर हमें भविष्य के लिए सहेजना होगा। हरियाणा में 5 इंच यानी 150 मिलीमीटर औसत वर्षा होती है। इसके अलावा, यमुना नदी से पानी की पूर्ति होती है। सतलुज-रावी-ब्यास का पानी भाखड़ा डैम के माध्यम से हमें मिलता है। 3.5 एमएएफ पानी एसवाईएल के कारण हमें नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में पानी की उपलब्धता 20 एमएएफ है। जबकि मांग 34 एमएएफ है। इस 14 एमएएफ के अंतराल को पूरा करना हमारे लिए चुनौती है।
पानी का सबसे बड़ा हितधारक किसान है, क्योंकि अधिकांश पानी सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है। उद्योगों तथा घरों में भी पीने के अलावा अन्य कार्यों में पानी की खपत होती है। लेकिन पानी बहुत ही सीमित मात्रा में है। प्रदेश के 85 ब्लॉक डार्क जोन में आ गए हैं।
रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज धारणा अपनाने की जरूरतः
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान समय में पानी की मांग को पूरा करने के लिए थ्री- आर यानी रिड्यूस, रीसाइकिल और रीयूज की अवधारणा को अपनाने की आवश्यकता है। इसलिए अधिक से अधिक ट्रीटेड वाटर का उपयोग करना होगा। इसके लिए प्रदेश में 200 एसटीपी और वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए गए हैं।
एचएसवीपी द्वारा विकसित सेक्टरों में एक नया प्रयोग शुरू किया गया है, जिसमें घरों में डबल पाइप लाइन की व्यवस्था की गई है। एक पाइपलाइन पीने के पानी के लिए तथा दूसरी पाइपलाइन अन्य उपयोग के लिए। यह प्रयोग सफल हो रहा है। पानी की आपूर्ति, प्रबंधन और चोरी रोकने के लिए आरटीडास सिस्टम लगाए जा रहे हैं।
पानी बचाने के लिए कार्य योजना तैयारः
अरोड़ा हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण की अध्यक्षा केशनी आनंद अरोड़ा ने प्राधिकरण द्वारा प्रदेशभर में किए गए भू जल की गहराई का आकलन, पानी की उपलब्धता, उसके उपयोग और पानी के गैप को पूरा करने की विधियों सहित विभिन्न बिंदुओं पर प्रस्तुतीकरण दिया। उन्होंने कहा कि पानी बचाने की कार्य योजना तैयार कर ली गई है।
नेशनल वाटर मिशन की मिशन निदेशक अर्चना वर्मा ने कहा कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति मजबूती से आगे बढ़ती है तो वह कार्य अवश्य निश्चित तौर पर सफल होता है। इस अवसर पर सांसद चौधरी धर्मवीर सिंह, विधायक डॉ अभय सिंह यादव, मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी एस ढेसी, मुख्यमंत्री के सलाहकार (सिंचाई) देवेंद्र सिंह और 10 विभागों के प्रशासनिक सचिव सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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Web Title-Haryana does not have natural resources, we have to save water for the future: Manohar Lal
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