पंचकूला। 26वीं अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता का ताऊ देवीलाल स्टेडियम में समापन हो गया। राष्ट्रीय स्तर की इस खेल प्रतियोगिता में ओवर ऑल ट्राॅफी जीत कर छत्तीसगढ़ प्रथम रहा जबकि दूसरा स्थान कर्नाटक को मिला।
मार्चपास्ट, रस्साकस्सी और भव्य रंगारंग कार्यक्रम के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसमें हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, वन और वन्यजीव मंत्री कंवरपाल, हरियाणा वन विकास निगम के चेयरमैन धर्मपाल गोंदर, हरियाणा लोक सेवा आयोग के चेयरमैन आलोक वर्मा, शिवालिक विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष ओम प्रकाश देवीनगर, पंचकूला के नगर निगम के महापौर कुलभूषण गोयल भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि यह वन कर्मियों एवं वन अधिकारियों में व्याप्त खेल के प्रति समर्पण का परिणाम है कि प्रतियोगियों ने लगभग 36 खेलों की 273 प्रतिस्पर्धाओं में हिस्सा लिया। वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को शारीरिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाए रखने के उद्देश्य से अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता सन् 1993 में हैदराबाद से शुरू हुई थी।
उन्होंने कहा कि वन कर्मियों का शारीरिक रूप से स्वस्थ एवं गतिशील होना आवश्यक है। वन प्रहरियों के रिफलैक्स त्वरित होने चाहिए ताकि किसी भी खतरे के अंदेशे से बचा जा सके। खेल ऐसा माध्यम है जिससे कि शारीरिक स्वास्थ्य बना रहता है तथा व्यक्ति के रिफलैक्स भी तेज रहते हैं। उन्होंने कहा कि वन कमिर्यों एवं वन अधिकारियों की जीवन शैली में खेल अभिन्न अंग है।
उन्होंने कहा कि जीवन में धैर्य और अनुशासन से ही व्यक्ति सफल हो पाता है और खेलों में भी धैर्य और अनुशासन ही जीत की पूंजी है। एक अच्छा खिलाड़ी खेल में आई हुई कठिनाईयों से उभरकर जीत का वरण करता है। ऐसे ही जीवन में खेलों जैसी जीवटता रखने वाला व्यक्ति कभी हारता नहीं। खेल के अभ्यास से मनुष्य का चारित्रिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। समापन समारोह के दौरान हरियाणा और पंजाब की टीमों के बीच रस्साकस्सी का दिलचस्प मुकाबला हुआ। हरियाणा ने इस मैच को 3-0 से जीत लिया।
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि खेल मनुष्य में आपसी समझ को बढ़ावा देते हैं। क्योंकि कोई भी खेल अकेले नहीं खेला जा सकता। टीम के साथ खेलकर हमें सहयोग से काम करने की आदत पड़ती है। मिलकर खेलने में व्यक्तिगत हार-जीत नहीं रहती। हार का दुःख तथा जीत की खुशी साथी खिलाडियों में बंट जाती है। उन्होंने कहा कि खेल में जीत के लिए आवश्यक है कि खिलाड़ी व्यक्तिगत यश के लिए न खेलें। वह अन्य खिलाडियों के साथ सहयोग से खेलें। इस प्रकार खेलों से टीम भावना तथा सहकारिता की भावना से काम करने की शिक्षा स्वयमेव मिलती रहती है।
वन एवं वन्यजीव मंत्री कंवरपाल ने कहा कि यह अखिल भारतीय वन खेलकूद प्रतियोगिता लघु भारत की एक मनोरम झांकी है। यहां हार-जीत का महत्व नहीं है बल्कि खेल भावना का महत्व है। उन्होंने कहा कि स्फूर्तिमय शरीर ही मन को स्वस्थ बनाता है। खेलकूद मानव मन को प्रसन्न और उत्साहित बनाए रखते है। खेलों से नियम पालन के स्वभाव का विकास होता है और मन एकाग्र होता है। खेल मे भाग लेने से खिलाडियों में सहिष्णुता, धैर्य और साहस का विकास होता है तथा सामूहिक सदभाव और भाईचारे की भावना बढ़ती है। खेलकूद से एकाग्रता का गुण आता है जिससे आध्यात्मिक साधना में मदद मिलती है।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण विभाग, केंद्रीय पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक एस.पी. यादव, वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विनीत गर्ग, प्रधान मुख्य वन संरक्षक जगदीश चन्द्र, पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एम.डी. सिन्हा और वन विभाग के सभी राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
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