पलवल। दिव्यांगजन आयुक्त राजकुमार मक्कड़ ने कहाकि केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए सभी दिव्यांगजनों को अपने दिव्यांगता पहचान-पत्र (यूनिक डिसेबिलिटी आईडेंटिटी कार्ड) को फैमिली आईडी से लिंक करवाना बेहद जरूरी है, अन्यथा दिव्यांगजन लाभ से वंचित हो जाएंगे।
मक्कड़ पलवल में दिव्यांगजनों की समस्याओं के निवारण के लिए खुला दरबार एवं जागरूकता शिविर में बोल रहे थे। राज्य आयुक्त ने दिव्यांगों की शिकायतों को सुना और उनका निवारण करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वे स्वयं जागरूक हो और दूसरों को भी जागरूक करने का काम करें। उन्होंने उप सिविल सर्जन डा. सुरेश को निर्देश दिए कि वे जिला के सभी दिव्यांगजनों के यूडीआईडी कार्ड जल्द से जल्द मुहैया करवाने की दिशा में कार्य करें, ताकि दिव्यांगजन इसका लाभ उठा सकें। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा कि एचकेआरएनएल की ओर से जारी किए गए अपोइंटमेंट लेटर के आधार पर दिव्यांग नौकरी को ज्वाइन करें। इसके पश्चात दिव्यांगों को उनके ही जिला में स्थानांतरित करवा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार दिव्यांगजनों की सेवा के लिए कृतसंकल्प हैं और उनके विकास के हर संभव प्रयास में जुटी हुई है। दिव्यांगजनों को शत प्रतिशत रोजगार उपलब्ध हो इसके लिए सरकारी नौकरियों के साथ-साथ प्राइवेट क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर प्रदान करवा रही है।
राज्य आयुक्त ने कहा कि सरकार ने प्रदेश के हर पेट्रोल पंप पर 2 दिव्यांगजन को नौकरी देने का भी नियम बनाया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल शासन में दिव्यांगजनों के हक को दिलवाने तथा उन्हें सरकार की ओर से प्रदान किए जाने वाले सभी भत्ते प्रदान करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि दिव्यांगता पेंशन का लाभ प्राप्त करने के लिए डिसेबल पर्सन को किसी कार्यालय के चक्कर काटने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हरियाणा सरकार के सहयोग से प्रत्येक जिले में दिव्यांगजनों को कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण प्रदान करने के लिए शिविर आयोजित कर रही है। 80 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता रखने वाले डिसेबल पर्सन को ट्राई साइकिल व मोटराइज्ड ट्राई साइकिल भी दी जाती हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलों में गोल्ड मेडल प्राप्त करने पर 6 करोड़, सिल्वर मेडल पर 4 करोड़ तथा कांस्य पदक विजेता को 2 करोड 50 लाख रुपए दिए जाते हैं। इसके अलावा केवल अंतरराष्ट्रीय खेलों में अपनी सहभागिता करने वाले दिव्यांग खिलाडी को 50 लाख रुपए और खेलों की तैयारी के लिए 5 लाख रुपए दिए जाते हैं। दिव्यांगों खिलाडी को एक साल के अंदर सरकारी नौकरी भी प्रदान की जाती है।
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