नूंह। मेवात जिले के पिनगवां राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गर्ल्स के भवन के टूटने से अध्यापकों और बेटियों को तालीम हासिल करने में बड़ी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। जिस कन्या प्राइमरी में अस्थाई तौर पर कक्षाएं लगाई जा रही हैं , वहां पर कमरों का अभाव है। इस समस्या से प्राईमरी स्कूल की छात्राओं के साथ-साथ छठी-बारहवीं कक्षा तक की करीब 1000 से अधिक लड़कियां हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गर्ल्स में सात सौ लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। पुराना भवन कमरों और परिसर के लिहाज से काफी कम था और बरसात में तो स्कूल में पानी तालाब का रूप ले लेता था। अधिकतर बेटियों को खुले आसमान के नीचे पढ़ना पड़ता था। लड़कियों के स्कूल की समस्या को एक बार नहीं बार - बार मीडिया में प्रकाशित व दिखाया गया तो शिक्षा विभाग की नींद खुली। शिक्षा विभाग ने नए भवन के लिए करोड़ों की राशि भेज दी है और पुराने भवन का टेंडर लगाकर उसे तुड़वा दिया गया है। भवन को तोड़े हुए एक माह से अधिक समय बीत गया है ,लेकिन नए भवन के नाम पर अभी तक एक ईंट भी नहीं लगी है। अध्यापकों और छात्राओं को अब डर सताने लगा है कि अगर इसी कछुआ गति से शिक्षा विभाग काम करेगा तो उनकी पढाई पर इसका खासा असर पड़ेगा। अध्यापकों - अभिभावकों से लेकर छात्राओं ने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों से मांग की है कि पिनगवां गर्ल्स वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भवन का निर्माण कार्य जल्द से जल्द शुरू ही नहीं करवाया जाये बल्कि तय सीमा में इसका निर्माण कार्य पूरा करवाया जाये , तभी बेटियां अच्छे नतीजे लाकर दो घरों को रोशन कर सकती हैं।
नये स्कूल बनने की खबर के बाद ना केवल स्कूल की छात्राओ मे खुशी का माहौल हे बल्कि अध्यापक व कस्बे के लोगो में भी खुशी है।
आपको बता दें कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय गर्ल्स पिनगवां की बिल्डिंग लड़कियों की संख्या के हिसाब से बड़ी छोटी पड़ रही थी। स्कूल में करीब 700 छात्राये शिक्षा ग्रहण कर रही है। स्कूल का भवन 1947 में बनकर तैयार हुआ है था करीब सात दशक बाद जर्जर अवस्था में हो गया। स्टाफ ,मिड डे मिल ,कबाड़ इत्यादि से लेकर लड़कियों के पढ़ने के लिए मात्र पांच कमरे थे। लड़कियों को सर्दी ,गर्मी ,बरसात में खुले आसमान के नीचे बैठकर तालीम हांसिल करनी पड़ती थी। पीने के पानी , बिजली , शौचालय की कमी छात्राओं को लगातार खल रही थी। जगह का अभाव और टीचरों अभाव लड़कियों की बेहतर तालीम में रोड़ा बना हुआ था।
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